न्यूटोथैरेपी वैदिक ज्ञान की आधुनिक विज्ञानके रूप में श्रेष्ठतम प्रस्तुति

जहाँ देश की 160 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी- रेखा से नीचे जीवन-यापन करती हो और रोगों के उपचार में वर्तमान एलोपैथी चिकित्सा-पद्धति से इलाज करना कठिन हो, ऐसे में बिना दवा, बिना किसी उपकरण एवं बिना किसी कुप्रभाव के रोगों का सफल उपचार करने में न्यूरो थैरेपी एक वरदान साबित हो रही है। मुम्बई के डॉ. लाजपत राय महरा ने वैदिक विज्ञान को आधुनिक विज्ञान न्यूरोथैरेपी के रूप में हम सबके सामने प्रस्तुत किया है तथा उनके शिष्य इन पंक्तियों के लेखक के अहर्निश परिश्रम से आज न्यूरोथैरेपी उच्च शिखरों पर स्थापित हो रही है। इन पंक्तियों के लेखक को भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन क्लिनिक में न्यूरोथैरेपी सेवा देने के लिए स्थान दिया हुआ है। न्यूरोथैरेपी चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र, ग्राम सूर्यमाल, जिला थाणे, महाराष्ट्र एवं दिल्ली में ‘आरोग्य पीठ' 51/3 ओल्ड राजेंद्र नगर, दिल्ली-110060 में सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं।


न्यूरोथैरेपी रक्तसंचार व नाड़ी-संचार की दिशा एवं दशा पर नियन्त्रण कर शरीर में होनेवाले परिवर्तनों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं उनके विश्लेषण पर आधारित है। शरीर में रक्तसंचार को माध्यम बनाकर तथा नाभी को केन्द्र मानकर भिन्न-भिन्न ग्रन्थियों को सरलता से उकसाया जा सकता है तथा उनके द्वारा उत्पन्न होनेवाले रसायनों की मात्रा को भी कम, ज्यादा या सामान्य किया जा सकता है। इस प्रकार मशीन, दवा एवं कुप्रभावरहित इस वैज्ञानिक चिकित्सापद्धति को आज की शिक्षा-पद्धति का अभिन्न अंग बनाकर शरीर के अन्दर फैलनेवाले रासायनिक प्रदूषण से मानव को बचाया जा सकता है।



केवल सिस्टम (लक्षण) नहीं, अपितु सिस्टम को भी ठीक करनेवाली थैरेपीः न्यूराथैरेपी केवल लक्षण (सिम्टम्स) को ही नहीं, अपितु व्यक्ति के सिस्टम को ठीक करने का कार्य करती है। मोटापा कब्ज, बालों का झड़ना, रूसी, ड्राई स्किन आदि सिम्टम हाइपो थॉयरायड यानी थॉयरायड ग्लैंड की खराबी या कम काम करने के कारण होते हैं, तब इन लक्षणों के लिए प्रयोग होनेवाली दवा का परिणाम थोड़े समय के लिये तथा बैड साइड इफेक्ट देनेवाला होता है। जबकि न्यूरोथैरेपी में थॉयरायड के बेसिक कैमिकल टायरोसिन एमीनो एसिड को स्वतः एवं पर्याप्त मात्रा में बनाने के लिए अन्य सहयोगी ग्रन्थियों को उकसाकर उनसे संबंधित सिस्टम जैसे डाइजेस्टिव सिस्टम, इंटोट्राइन सिस्टम, सर्कुलेटरी सिस्टम को भी ठीक किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप थॉयराइड अपना काम सामान्य रूप से करने लग जाता है। और सभी लक्षण सामान्य हो जाते हैं।


बिना किसी दवा, मशीन/उपकरण के सहज एवं बिना किसी अतिरिक्त खर्चे के उपचार करनेवालीः जहाँ देश की आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन-यापन करती हो, अस्पताल तो दूर, दवाई के लिए भी पैसा उपलब्ध न हो, ऐसे में न्यूरोथैरेपी आज देश-दुनिया के लिए वरदान सिद्ध हो रही है जो हर आयु वर्ग के व्यक्ति को किसी भी रोग में कहीं भी एवं कभी भी दी जा सकती है। इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है।


रोग के मूल कारण को ठीक करती है। न्यूरोथैरेपी रोग के मूल कारण को ठीक करती है। सिस्टम क्यों खराब हुआ, उसका कारण क्या है, उसको ढूँढ़ा जाता है, जैसे हाइपोथॉयराइड का मूल कारण रोगी का पाचनतंत्र खराब होना है। पाचनतंत्र क्यों खराब हुआ ? चिन्ता, भय, खाने की अनियमितता, सोना, नहाना, खाना व व्यायाम का तालमेल व तरीका न होना, दवाई का दुष्प्रभाव होना आदि हो सकते हैं। मन्दबुद्धि बच्चों में ऑटिज्म, सी.पी., माइक्रो हेड, डम्ब और डीफ इत्यादि का कारण बच्चे की माँ की गर्भावस्था या डिलिवरी के समय की खराबी या ग़लती हो सकती है। न्यूरोथैरेपी में रोगी को उसी मूल कारण से संबंधित उपचार देकर उसे पुनः पूर्ण स्वस्थ किया जा सकता है। चाहे वह माता का गर्भावस्था या डिलिवरी के समय का ही कारण क्यों न हो।


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