योग बिगड़ी हुई जीवनशैली को सुधारने में मदद करता है - श्रीपद नाइक

भारतीय चिकित्सा-पद्धति एवं होमियोपैथी विभाग की स्थापना मार्च, 1995 में की गई थी। नवम्बर में इसका नाम बदलकर आयर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यनानी, सिद्ध एवं होमियोपैथी (आयष) विभाग रखा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की अपील करने के बाद सरकार में आयष' का अलग मंत्रालय बनाया है जिससे प्राचीन भारतीय चिकित्सा-पद्धतियों का प्रोत्साहन कर उन्हें लोकप्रिय बनाया जा सके। वर्तमान में देश को कई स्वास्थ्यचुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसका समाधान आयुष-चिकित्सा के पास है। अब समय आ गया है जब आयुर्वेद की असीमित क्षमताओं का उपयोग किया जाए। आयुष मंत्रालय के गठन से यह सब संभव लगने लगा है। ‘आरोग्य विशेषांक' के लिए दी कोर टीम ने आयुष मंत्री माननीय श्रीपद येस्सो नाइक जी से इस विषय पर विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के अंश :



  • विगत वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अपार सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। इस पर आपके क्या विचार हैं?


आयुष मंत्रालय ने 21 जून, 2015 को राजपथ, नयी दिल्ली में प्रथम योग दिवस का सफल आयोजन किया। दो गिनीज विश्व रिकॉर्ड - 35,985 प्रतिभागियों के साथ सबसे बड़ा योग-सत्र तथा एक ही योगाभ्यास-सत्र में सर्वाधिक देशों (84) के नागरिकों की प्रतिभागिता बनी। विज्ञान भवन में 21 एवं 22 जून, 2015 को सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग' विषय पर दो- दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई जिसमें भारत तथा विदेश से लगभग 1,300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पहली बार आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भारत और दुनिया के लाखों लोगों ने भागीदारी की। यह देश के लिए अत्यंत गर्व का विषय है।



  • संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस का प्रस्ताव पारित होने से पहले कौन- कौन सी बाधाएँ आईं और कैसे उनका समाधान निकाला गया?


दिनांक 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू.एन.जी.ए.) के 69वें सत्र को संबोधित करते हुए भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व- समुदाय से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योगाभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म, आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग मात्र व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जागरूकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होनेवाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। आइए हम सब मिलकर योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार करने की दिशा में कार्य करें।' 11 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकॉर्ड 177 सह-समर्थक देशों के साथ 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। अपने संकल्प में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार किया कि योग स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पूर्णतावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है। योग विश्व की जनसंख्या के स्वास्थ्य के लिए तथा उनके लाभ के लिए विस्तृत रूप में कार्य करेगा। योग जीवन के सभी पहलुओं में सामंजस्य बैठाता है और इसीलिए, बीमारी-रोकथाम, स्वास्थ्य- संवर्धन और जीवनशैली-संबंधी कई विकारों के प्रबंधन के लिए जाना जाता है।




  • आप स्वयं अपनी व्यस्त दिनचर्या में योग के लिए कितना समय निकाल पाते हैं?


मैं स्वयं नियमित रूप से योग का अभ्यास करने का प्रयास करता हूँ। इससे मुझे स्वस्थ रहने की प्रेरणा मिलती है।



  • में आपका मानना है कि देश के हर जिले में कम-से-कम एक आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र खोला जाए। अभी तक कितने जिलों में कार्य प्रारंभ हुआ है?


राज्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में 2,393 आयुर्वेद अस्पताल और 15660 आयुर्वेदिक औषधालय हैं। इसके अलावा, 15 आयुर्वेद अस्पताल और 267 आयुर्वेदिक औषधालय केन्द्र सरकार के तहत संगठनों, जैसे - सी.एच.जी.एस., श्रम मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय, राष्ट्रीय संस्थानों और अनुसंधान परिषदों में हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में आयुष को मुख्य धारा की पहल के तहत 495 जिला अस्पताल, 2643 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 8258 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 6086 अन्य एलोपैथिक केंद्र आयुष सुविधावाले हैं; राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय आयुष मिशन के सहयोग से देश में अधिक-से-अधिक आयुषसुविधाओं की निर्मिति की जा रही है।


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