जयजती असमिया की पहली बोलती फिल्म

भारतीय भाषाओं की फ़िल्मों के बीच असमिया फिल्म को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। असमिया फिल्म का प्रारम्भ 1935 ई. से होता है। 10 मार्च, 1935 ई. को प्रदर्शित फिल्म ‘जयमती' को अयमिया की पहली बोलती फ़िल्म होने का गौरव प्राप्त है। इससे पूर्व 14 मार्च, 1931 को प्रदर्शित ‘आलम आरा' भारत की पहली बोलती फ़िल्म रही। उसी वर्ष तमिल की ‘कालिदास' तथा बांग्ला की 'जमाई षष्ठी' अपनी भाषाओं की प्रथम बोलती फ़िल्म बनी। असमिया सिनेमा के पितृपुरुष कहे जानेवाले रूप कोंवर, ज्योति प्रसाद अगरवाला ने जयमती' का निर्माण किया। अगरवाला को असमिया सिनेमा का जन्मदाता कहलाने का गौरव भी मिला। असमिया साहित्य के 'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के रूप में सुविख्यात लक्ष्मीनाथ बेजबरूवा के नाटक पर आधारित फिल्म है- जयमती। नाट्यकृति ‘जयमती कुँवरी' का प्रकाशन 1915 ई. को हुआ था। असम के इतिहास में जयमती सर्वश्रेष्ठ नारी मानी जाती हैं। असमिया संस्कृति में ऐसी नारी पर केन्द्रित फिल्म का निर्माण करना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण घटना है। असम के जनसमाज में जयमती का प्रेरक चरित्र सम्मानित है। वह देशभक्त, वीरांगना और पति के प्रति समर्पित आदर्श नारी का प्रतीक है। जयमती प्रताड़ना झेलने के बाद भी अपने दृढ़ निश्चय पर डटी रहीं।


फिल्मकार ज्योति प्रसाद अगरवाला ने शोषण और अन्याय के विरुद्ध समाज को जागरूक, एकजुट तथा संघर्षशील बनाने के उद्देश्य से आदर्श नारी का प्रतीक बनी जयमती-जैसे चरित्र का चयन किया। इस फिल्म के निर्माण के साथ ही ज्योति प्रसाद अगरवाला असमिया सिनेमा के प्रथम निर्माता, निर्देशक, नृत्य-निर्देशक, संगीतनिर्देशक, दृश्य निर्देशक, पटकथा-लेखक और संवाद-लेखक बन गये। अगरवाला ने कोनार्ड वोल्फ इंस्टीट्यूट, जर्मनी में सात माह तक फ़िल्म-निर्माण की तकनीक का बारीकी से प्रशिक्षण लिया। वह भारत आने पर 1933 ई. से फ़िल्म-निर्माण में सक्रिय हो गये। उन्होंने तेजपुर (असम) में चित्रलेखा मूवीटोन कंपनी की स्थापना की। कम्पनी के फ़िल्म-शिविर को चित्रवन' के नाम से बनाकर वहाँ साउण्ड स्टूडियो प्रारम्भ किया। फिल्म के सेट का निर्माण बाँस से किया गया। उस समय फ़िल्मनिर्माण के लिए नारी-पात्रों को खोजनाअसंभव-सा था। दृढ़ निश्चय के धनी अगरवाला ने इस असम्भव को सम्भव कर दिखाया। उन्होंने ‘तिनिदिनीया असमिया' आदि में विज्ञापन प्रकाशित करवाया। इसके बाद आईदेउ संदिकै ने जयमती की भूमिका की। वह असमिया सिनेमा की प्रथम नायिका बन गयी। जयमती के पति गदापाणि की भूमिका कर परशुराम बरुवा प्रथम नायक बने। अन्य कलाकारों में डॉ. ललित मोहन चौधरी, गजेन बरुवा, शुभ बरुवा, मनोभिराम बरुवा, रस बरुवा, वनमाली दास, प्रफुल्लचन्द्र बरुवा, मोहन फूकन, पुतुल दास, क्षीरदकांत बरुवा, पूर्ण शर्मा, डिम्ब गौहाई, धानुराम, जयंत बरुवा, हरेन शर्मा, नवीन आयवाला सहित कई नाम शामिल हैं। तीन वर्षीय रंजीत बरुवा ने गदापाणि के छोटे पुत्र लसाई की भूमिका की। जयमती फ़िल्म के सहायक निर्देशक राजेन बरुवा थे। लक्ष्मीनारायण बेजबरुवा, ज्योति प्रसाद अगरवाला, भरत वरपुजारी और चन्द्र कुमार अगरवाला गीतकार थे। अन्न अगरवाला, लिली बरुवा और स्वर्ग ज्योति बरुवा ने गायन किया।


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