<no title>असम : विविधता में एकता के दर्शन

हम जिसे असम या आसाम कहते हैं, उस प्रदेश को वहाँ के वासी ‘अहोम' बोलते हैं। असमिया भाषा में 'स' की जगह 'ह' का उच्चारण होता है। समिति के लिए ‘हमिति', संघ के लिए 'हंघ', 'सच' के 'हसा' आदि। ‘अ’ का उच्चारण ‘ओ' में किया जाता है।



तिब्बत में उत्पन्न होकर अरुणाचलप्रदेश की पर्वतों से बहकर असम में प्रवेश करता है ब्रह्मपुत्र। यह डिब्रूगढ़ में विशाल रूप धारण कर असम को लंबाई में दो भागों में चीरता हुआ बांग्लादेश के रास्ते गंगासागर में विलीन हो जाता है। भारी वर्षा और बर्फ के गलने के कारण ब्रह्मपुत्र में हमेशा पानी भरा रहता है। बाढ़ आने पर दोनों किनारे बसे हुए छोटे-छोटे गाँवों में तबाही मच जाती है। देश के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान और नेपाल के बीच 22 किमी चौड़ी गलियारा, जिसे 'चिकेन नेक' कहते हैं, असम का संपर्क-मार्ग बन गया। यह गलियारा सामरिक महत्त्ववाला अति संवेदनशील कड़ी है। इस गलियारे में सिलिगुड़ी या जलपाईगुड़ी एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। सिलिगुड़ी उत्तर बंगाल में है।


सिलिगुड़ी पार करने के बाद थोड़ी ही दूर पर असम की सीमा प्रारंभ हो जाती है। कोकराझार, धुबड़ी, ग्वालपाड़ा, नलबाड़ी न्यू रंगिया, गवाहटी, बंगाईगाँव, होती हुई ट्रेन अतिम छोर तिनसुकिया तक जाती है। असम के ऊपर उत्तर और दायीं ओर पूर्व और नीचे दक्षिण की ओर अरुणाचलप्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा राज्य हैं। भूटान और बांग्लादेश भी असम के सीमावर्ती देश हैं।


असम का प्राचीन नाम कामरूप था जिसकी राजधानी प्राग्ज्योतिषपुर थी। उतारचढ़ाव यानी भूमि समतल नहीं होने के कारण इसका एक नया नाम ‘असम' (जो सम नहीं है) पड़ा। असम का इतिहास लगभग 3000 ई.पू. से शुरू होता है। दानव वंश का महिरड दानव इस पर शासन करता था। राजा नरक का का पुत्र महापराक्रमी भगदत्त महाभारत-युद्ध में कौरव सेना में शामिल था। सातवीं शताब्दी में वर्मन वंश कुमार भास्करवर्मन ने असम को पुनः अपने प्राचीन वैभव पर पहुँचाया। भास्करवर्मन राजा हर्षवर्धन का अंतरंग मित्र था। इसी कालखण्ड में चीनी तीर्थयात्री विद्वान् ह्वेनसांग भारत की यात्रा पर असम आया और यहाँ की भूमि और लोग व उनकी संस्कृति के बारे में लिखा।


हिमालय की तलहटी में बसा असम नीले पर्वत और लाल नदियोंवाला प्रदेश है। उपजाऊ घाटियाँ, घने जंगल, असंख्य नदियाँ, ऊँची पर्वतश्रेणियाँ और ऊँचे-ऊँचे मैदानी क्षेत्र- यह असम का भूगोल है। पूर्व से पश्चिम तक फैली पहाड़ियों ने असम को दो विशाल घाटियों में विभक्त किया है ब्रह्मपुत्र घाटी व बाराक घाटी। बाराक घाटी को सूरमा घाटी भी कहते हैं। इन घाटियों के बीच स्थित रंगमा और कारबी पहाड़ घने जंगलों और दुर्लभ वन्य प्राणियों से भरे हुए हैं।


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