पूर्वोत्तर की आदिवासी कहानियाँ

पूर्वोत्तर की कहानियाँ अपनी-अपनी संस्कृति, भाषा, भूगोल व उन अनुभवों को दर्ज कराती हैं, जो बाकी भारत से कई मामलों में भिन्न हैं। इनकी कहानियों में भारी संख्या में बहिरागत घुसपैठियों के आ जाने से, अपने ही देश और घर में परदेसी और पराया होने का एहसास पाठक के मन को बराबर कचोटता है। पूर्वोत्तर की आदिवासी कहानियाँ नाम से संकलित इस पुस्तक में अरुणाचलप्रदेश, असम, मिजोरम, मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर आदि क्षेत्रों के लेखकों की कहानियों को संजोया गया है। इस संकलन में पूर्वोत्तर के एक दर्जन से अधिक लेखकों की कहानियों को। शामिल किया गया है जिनमें आइना, सड़क की यात्रा, जंगल की आग, एक पैसा, बाँझ, वापसी, बीते हुए दिन, डर, अमावस की रात, शिक्षक, संघर्ष, निराशा के उस पार, भूमिपुत्र, कठ-बाप सहित कुल सत्ताइस कहानियाँ हैं।



इनमें मेघालय से बियोजा सावियान की ‘कठ-बाप' कहानी, जिस मार्मिकता से बच्चे और सौतेले पिता के वार्तालाप और उनकी गहरी संवेदना को व्यक्त करती है, वैसी संवेदना शेष भारत के अन्य लेखकों की कहानियों में कम ही देखने को मिलती है। इसी संकलन में निराशा की इन्तहा की हदों को। तोड़कर, व्यक्ति की जिजीविषा के सहारे अपनी विकलांगता से उबरते मनुष्य की कहानी ‘निराशा के उस पार' में कहानीकार वान्नेइहल्लंगा ने बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है। वहीं त्रिपुरा की ख्वालकुंगी की कहानी ‘काउबय लाबेले जीन्स' बच्चों की तरफ माता-पिता का उपेक्षाभरा व्यवहार और बच्चे को अपराधियों के चंगुल में फँसने के खतरे की ओर संकेत करती। है। इसके अलावा इस संकलन में सामाजिक सरोकारों को उकेरती एच. इलियास की ‘सूर्यास्त' कहानी में शराब से बरबाद होते परिवारों की व्यथा को दर्शाने का प्रयास किया गया है। जबकि त्रिपुरा के नेहमयराय चौधुरी की कहानी ‘साकालजुक' यानी स्त्री को डायन करार देने जैसी सामाजिक कुरीति पर करारा कटाक्ष है।


नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का संकलन एवं संपादन रमणिका गुप्ता ने किया है। रमणिका गुप्ता मूलतः पंजाब की रहनेवाली हैं और अबतक दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का संपादन कर चुकीं हैं। फिलहाल रमणिका गुप्ता इन दिनों पूरे तटस्थ भाव से रचनात्मक लेखन के उन्नयन में लगी हुई हैं। संकलनकर्ता की मानें तो संकलन एक विशेष प्रकार की आभा लिए हुए है जो पढ़ने को प्रेरित और काफी कुछ जानने । को उत्साहित करता है। मानवीय संवेदनाओं की पड़ताल करती इस संकलन की सभी कहानियाँ आदिवासी समाज के हर पहलू से आपको अवगत कराती हैं।