चितट पंजियार श्रीराम-जानकी मन्दिर

बिहार के समस्तीपुर जिलांतर्गत रोसड़ा में ५ 1690 ई. में स्थापित चितर पंजियार श्रीराम जानकी मन्दिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इस मन्दिर की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि एक स्थानीय व्यापारी के दिन के मुनाफे से इस मन्दिर को निर्मित किया गया। मन्दिर के निर्माण की लागत-राशि एक लाख रुपये है। प्राचीन नगर रोसड़ा बुढी गण्डक नदी के किनारे बसा हुआ है। पहले जलमार्ग से बड़ी-बड़ी नौकाओं के द्वारा व्यापार-कार्य होता था। चर्चानुसार चित्तर पंजियार नामक व्यापारी को व्यापार में एक लाख का अतिरिक्त लाभ हुआ। व्यापारी ने इसे ईश्वर- कृपा मानकर उस राशि से श्रीराम जानकी मन्दिर का निर्माण करवाया। इस सुन्दर मन्दिर के निर्माण में सुर्ख, चूना, कत्था और छोएका प्रयोग किया गया। नगर के मध्य निर्मित इस मन्दिर में श्रीरामनवमी के दिन विशेष पूजा की जाती है। उक्त अवसर पर एक भव्य मेला लगता है। मन्दिर में अष्टधातुओं की मूर्तियाँ हैं। मन्दिर का शिल्प-सौन्दर्य आकर्षक है। समस्तीपुर-खगड़िया रेलखण्ड के बीच रुसेराधार रेलवे स्टेशन है। बेगूसराय से यहाँ सड़क-सम्पर्क (45 किमी) है। यहाँ कई अन्य मन्दिर भी हैं। बिहार की सबसे पुरानी नगरपालिकाओं में से एक रोसड़ा नगरपालिका (01 अप्रैल, 1869) भी रही है। पूरे देश से साधु-संत यहाँ अपने पात्र कमण्डल बनवाने आते थे। ज्ञात हो कि काष्ठ-निर्मित कमण्डल पूरे देश में सिर्फ रोसड़ा में ही बनता है, सिर्फ एक ही परिवार में। यदि प्रदेश और केन्द्र सरकार ने अविलम्ब ध्यान नहीं दिया तो कमण्डल-कला विलुप्त हो जायेगी।