रमणीयं, आनन्द, राजगहम्

ज सम्पूर्ण राष्ट्र में ‘स्मार्ट सिटी' बनाने की बातें उठ रही हैं। प्राचीन काल में हमारे देश में अनेक राजा और महाराजाओं ने अपने शासनकाल में स्मार्ट सिटी के रूप में नगरों को बसाया था जिसके अवशेष हमें पुरातात्त्विक अनुसंधान से पता चलते हैं। जब हम प्राचीन काल के गिरिव्रज या आधुनिक राजगृह का अनुशीलन करते हैं, तो राजा बिम्बिसार और अजातशत्रु द्वारा बसाए गए इस नगर को हम स्मार्ट सिटी के रूप में जानते हैं। आज भी उत्खनन से इस नगर के स्मार्ट सिटी होने का प्रमाण प्राप्त कर सकते हैं जिसके लिए हमें भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण का ध्यान आकृष्ट कराना होगा। प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण यह नगर पुरातन काल में तपस्वी ऋषि, श्रमण-संघ तथा अनेक संप्रदायों का प्रधान केन्द्र रहा है। अपने उत्कर्ष के दिनों में यह नगर विविध राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक उथल-पुथल की कहाने गर्भ में छिपाये हुए है।



दक्षिण बिहार की पार्वत्य भूमि पर गिरिव्रज (आधुनिक राजगृह), जिसे हमारे धर्मग्रंथों में पंचशेष, ऋषभपुर, कुशाग्रपुर, क्षिति प्रतिष्ठ, वसुमती, चणकपुर, विपुलगिरि, रत्नगिरि, सोनगिरि, वैभारगिरि, गृद्धकूट आदि नामों से जाना जाता है, की जलवायु अति स्वास्थ्यकर है। यहाँ के प्रपातों एवं कुण्डों का उष्ण जल सुखद एवं गुणद है। हमारे देश के विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में इस मनोरम पावनपुरी को पवित्र तीर्थ की संज्ञा देकर इसे भव-भयहारी बतलाया गया है तथा इस पञ्चभौतिक शरीर के लिए प्रत्यक्ष रूप में यह स्थान नाना रोगहारी एवं बलकारी अवश्य है। इन्हीं कारणों से विशेषकर शरद, हेमन्त ओर शिशिर ऋतुओं में देशी-विदेशी पर्यटकों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इनमें से अधिकांश स्वास्थ्य-लाभ की दृष्टि से और अनेक इस रमणीक भूभाग के मनोहर प्राकृतिक माधुर्य का आस्वादन करने तथा मन बहलाव के लिए आते हैं। तीर्थयात्रियों की संख्या भी राजगीर में पर्याप्त रहती है। जाड़े के समय में यह स्थान बहुधा बड़े-बड़े अध्यात्म चिन्तनरत आत्मज्ञानी साधु-संन्यासियों का आवास बन जाता है। जिससे यहाँ के जनसाधारण को अनेक सत्संग का सुअवसर प्राप्त होता रहता है। इस पंचपर्वत-परिवेष्ठित पावन नगर का कमनीयकान्त कानन अनन्त काल से अनेक पूज्य, पवित्र एवं वीतरागी तपस्वियों की तपस्या और साधना की पुण्यभूमि बनने का सौभाग्य प्राप्त करता रहा है। जैन एवं बौद्धमतों का विकास एवं प्रसार इसी नगर से हुआ था। यहाँ के स्वतंत्रचेता व्रात्यों का विचार धर्म के विषय में उदार, विस्तृत एवं प्रशस्त था। अतः यहाँ पर वैदिक धर्म के साथ-साथ अन्यान्य मतों- बौद्ध, जैन आदि को भी जनता के बीच पनपने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यही कारण है कि यह नगर हिंदू, जैन और बौद्ध- तीनों का पवित्र तीर्थस्थान है। आधुनिक राजगीर बिहार की राजधानी पटना से लगभग 105 किमी दक्षिण दिशा में स्थित है। पूर्व में यह नगर पटना जिला के बिहारशरीफ अनुमण्डल में था पर नालन्दा जिला के बन जाने पर अब यह नालन्दा जिला के अन्तर्गत आ गया। आज पर्यटन की दृष्टि से नयी-नयी कृतियाँयहाँ स्थापित हैं जिनमें विश्व शान्ति स्तूप, रज्जू-मार्ग एवं जापानी मन्दिर प्रसिद्ध हैं। हमें मालूम है कि राजगीर हमारे भारत राष्ट्र का एक सुन्दर, दर्शनीय स्थान है जो प्राकृतिक सौंदर्य की सम्पदा से चित्र की भाँति शोभा-सम्पन्न है। प्राकृतिक सौंदर्य के अतिरिक्त यह स्थान ऐतिहासिक तथ्यों तथा प्राचीन स्थापत्य और कला के नमूनों का आधार स्वरूप है।


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