स्मार्ट सिटी भारत का शहटी भविष्य

भारत सरकार ने एक बेहद महत्त्वाकांक्षी और भविष्योन्मुखी कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के विकास-एजेंडे का केंद्रीय मुद्दा है। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत नये आधुनिकतम शहरों के निर्माण और पुराने शहरों के आधुनिकीकरण का काम शामिल होगा। इस मिशन को लेकर पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा गया है और इससे लोगों ने भारी उम्मीदें भी लगा रखी हैं। भारत का तेजी से अंधाधुंध शहरीकरण हो रहा है। और उम्मीद है कि अगले तीन दशकों में चार सौ मिलियन निवासी शहरी आबादी में शामिल हो जाएँगे।



भारत के सर्वाधिक अग्रणी वास्तुविद और शहरीकरण के विशेषज्ञ चार्ल्स कोरियन (1930-2015) ने दी न्यू लैण्डस्केप अर्बनाइजेशन इन दी थर्ड वर्ल्ड नामक अपनी पुस्तक में वास्तुकला के भारतीय विद्यार्थियों की कई पीढ़ियों के सामने एक बिल्कुल नयी सोच रखी है। उन्होंने वास्तुकला से संबंधित ली कोर्बुसियर (1887-1965) के काल्पनिक दृष्टिकोण और सामुदायिक ‘स्वतःस्फूर्त' आंदोलन- दोनों को ही लेकर अपना असंतोष प्रकट किया है। यह असंतोष उन्होंने अपने प्रत्युत्तर में दिया है। जेन जेकब्स की तरह उन्होंने भी शहरों और उनके आस-पड़ोस के इलाकों के स्थानिक रूप और आर्थिक व सामाजिक जीवन के परस्पर संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है। जेकब्स की विचारधारा के विपरीत कोरियन हस्तक्षेपवादी थे। अपनेविश्लेषण से उन्होंने गरीब देशों में शहरीकरण की चुनौतियों का सामने करने और उनसे उत्पन्न अवसरों पर ध्यान दिया है। कोरियन के अनुसार, 'बंबई एक महान् नगर है और साथ ही भयावह भी'। भले ही इसके भौतिक पर्यावरण का ह्रास हो रहा है, लेकिन इसमें अवसरों, परस्पर संवाद और आर्थिक गतिविधियों, सूक्ष्म कौशलों, आकांक्षाओं और उद्यमिता की भरमार है। उन्होंने बंबई से बेहतर, कहीं अधिक खुशनुमा और साफ़-सुथरी और व्यवस्थित इमारतोंवाले और चौड़ी सड़कोंवाले नियोजित शहरों से बंबई की तुलना करते। हुए कहा था कि तमाम सुविधाओं के बावजूद भी वे बम्बई की तरह समृद्धि के शिखर पर नहीं पहुँच पाये। क्रॉफर्ड मार्केट । और मोहम्मद अली रोड के चारों ओर बसे । मुंबई के ऐतिहासिक बाजारों में व्यापार की चहल-पहल ही वास्तव में कोरियन की मूलभूत सोच का केंद्र-बिंदु है। शोर-शराबे से गूंजते, भीड़-भाड़भरे और बिल्कुल अस्त-व्यस्त होने पर भी यह मुंबई की व्यावसायिक प्रतिभा, सामाजिक विविधता, अप्रवासियों को अपने भीतर समेटकर उन्हें आर्थिक सक्रियता प्रदान करने का एक जीता-जागता उदाहरण है।


सरकार समझती है कि इस जर्जर, जीर्ण-शीर्ण, गिरे-पड़े और पुराने व्यावसायिक इलाके को चमकते टावरों और व्यावसायिक कॉम्पलेक्स में बदलकर ही पुनर्विकास के मार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है, लेकिन उन्हें 'स्मार्ट' शब्द के निहितार्थ को समझना होगा, इसका अर्थ हैः अपनी कुशलता से एक ऐसा वातावरण निर्मित करना, जिसमें परिस्थितियों के अनुरूप बदलने की क्षमता हो और वहाँ के निवासियों के आर्थिक और सामाजिक जीवन के अनुरूप ढालने की क्षमता हो।


आगे और-----