स्वस्थ रहने के लिए लें उचित नींद

हमारे मन की तीन अवस्थाएँ होती हैं- जाग्रत्, स्वप्न एवं सुसुप्ति, यानी की निद्रावस्था। स्वभावतः हम दिन में जागते हैं एवं रात्रि में कभी स्वप्नावस्था में होते हैं, इसके बाद गहरी नींद में।।


हम अपनी एक तिहाई जिंदगी सोने में खत्म करते हैं। परंतु सोए बिना हम रह नहीं सकते एवं बिना नींद के हम स्वस्थ नहीं रह सकते। अतः स्वस्थ जीवन जीने के लिए नींद आवश्यक है। हमारी शरीर को जो लाभ नींद लेने से होता है, वह जाग्रत् अवस्था में नहीं हो सकता। तो आइए जानते हैं कि जब हम सोते हैं तो शरीर में क्या घटता है।



कौन सोता है?


हमारा अस्तित्व स्थूल, सूक्ष्म एवं सूक्ष्मतमतीन भागों में विभक्त है। शरीर मन से कार्य करता है, अतः जब मन सोता है तो शरीर आराम करता है। अब हमारा मन जाता कहाँ है? गीता (8.18-19) में लिखा है‘अव्यक्ताद्वयक्तयः... तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके, भूतग्रामः ... प्रभवत्यहरागमे', अर्थात् यह संपूर्ण भूत समुदाय दिन के प्रवेश काल में ब्रह्मा के शरीर से उत्पन्न होते हैं रात्रि में ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में लीन हो जाते हैं।


अब जानते हैं कि वैज्ञानिक शोध के अनुसार नींद का हमारे शरीर के अंगों पर क्या प्रभाव पड़ता है:


मस्तिष्क पर प्रभाव : जब हम नींद के प्रथम भाग में होते हैं तब हमारे मस्तिष्क का लगभग 40 प्रतिशत भाग सोता है। एवं 60 प्रतिशत भाग कार्यरत होता है। नींद के दूसरे एवं तीसरे मुकाम में मस्तिष्क विश्राम अवस्था में होता है। तथा मस्तिष्क की 50 प्रतिशत तरंगें धीमी हो जाती हैं और गहरी नींद आती है।


आँखों पर प्रभाव : जैसे ही हम नींद मेंप्रवेश करते हैं, हमारी आँखें स्वतः बन्द हो जाती हैं तथा हम अर्धचेतन में होते हैं; परंतु जब हम सोते हैं तो 90 मिनट बाद हमारी आँखों की पुतलियाँ स्पन्दन करती हैं। इस समय कुछ स्वप्न चल रहे होते हैं, परंतु गहरी निद्रा में हम पूर्ण अचेत हो जाते हैं।


हार्मोन्स पर प्रभाव : जाग्रत् अवस्था में तो हमारा शरीर ऑक्सीजन तथा खाने को पचाता है तथा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है परंतु जब हम नींद में होते हैं तो हमारा शरीर ऊर्जा का संचय करता है तथा शरीर स्वयं की मरम्मत करता है। ह्यूमन ग्रोथ हारमोन्स का उद्भव होता है। बढ़ती उम्र के बच्चों की लम्बाई एंटी-हारमोन्स से बढ़ती है। प्रोटीन हारमोन्स तथा एच.जी.एच. हारमोन्स, अमीनो एसिड की सहायता से मांसपेशियाँ एवं हड्डियों की मरम्मत करते हैं। शरीर की हर कोशिका नयी हो जाती है। पीनियल ग्रंथि का स्राव भी नींद काल में ही होता है जो शरीर की नींद तथा जाग्रत् अवस्था को संयमित करती है। सोते समय ही टैस्टीस्ट्शेन तथा फर्टलिटी हारमोन्स का स्राव होता है। अतः मानव के लिए उचित नींद लेना अत्यावश्यक होता है अन्यथा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।


इम्यून सिस्टम पर प्रभाव : पूर्ण नींद 7-8 घंटे लेने से इम्यून शक्ति बढ़ती है। जब व्यक्ति बीमार हो या शरीर में संक्रमण हो, एड्स का मरीज़ हो, घायल हो तो नींद अधिक लेने से अधिक लाभ होता है, क्योंकि नींद काल में शरीर की इम्युन-शक्ति बढ़ती है। शरीर का रिदम कैमिकल मैसेंजर तथा नाड़ियों द्वारा संचालित होता है जो सरकेडियन क्लॉक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। शरीर का नाड़ी-संस्थान नींद काल में पुष्ट एवं सक्रिय होता जिससे शरीर की आंतरिक शक्ति बढ़ती है।


शरीर के तापमान पर प्रभाव : नींद के समय शरीर का तापमान कम होता है। उच्च रक्तचाप के मरीज के लिए सोना लाभदायक होता है। नींद में मेटाबॉलिक रेट भी कम होता है,इसलिए शरीर में सुस्ती, थकावट महसूस होती है। शरीर का तापमान गिरने से नींद अच्छी आती है तथा स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। जिनके शरीर का तापमान ज्यादा होता है, उन्हें उच्च रक्तचाप होता है। और नींद कम आती है।


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