नाथ सम्प्रदाय की परम्परा के महान् संवाहक योगी आदित्यनाथ

जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तरप्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था, उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्रीगोरक्षनाथ मन्दिर, गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल वसन्त पञ्चमी, वि.सं. 2050 तदनुसार, 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया और पूर्वी उत्तरप्रदेश में हिंदुत्व का मार्ग प्रशस्त किया।


योगी आदित्यनाथ का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देवभूमि उत्तराखण्ड में 05 जून, सन् 1972 को हुआ। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।



आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँवगाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के हुआ। आग्रह पर देखते-ही-देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिवभक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिंदू-पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।


अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तरप्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआ-छूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। बृहत्तर हिंदू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिंदुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरुक करके गोवंशों का संरक्षण एवं संवर्धन करवाया। पूर्वी उत्तरप्रदेश में सक्रिय समाजविरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिंदू-पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।


हिंदुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मनसावाचाकर्मणा हिंदुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिंदू महासंघ-जैसी हिंदुओं की अन्तरराष्ट्रीय संस्था ने अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिंदू महासंघ के अन्तरराष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न कराये। तब आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।


वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडण्डियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है- 'न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम् । कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्॥' अर्थात्, ‘हे प्रभो ! मैं लोकजीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिए इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ। व्यवहारकुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।


जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादीरुढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पदचिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से एक साथ बैठे-एक साथ खाएँ' मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।


योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली है। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण आज पूर्वी उत्तरप्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे हैं। पूर्वी उत्तरप्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव है कि माओवादीजेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पाँव नहीं पसार पाये। नेपाल सीमा पर राष्ट्रविरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रूप में हिंदू युवा वाहिनी सफल रही है।


आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने-जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचारपत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही ‘यौगिक षट्कर्म', ‘हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग : स्वरूप एवं साधना तथा 'हिंदू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं। श्रीगोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी' के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा 'हिंदवी' साप्ताहिक समाचार-पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।


आगे और----