कितने नुकसानदायक हैं प्रिजर्वेटिव?

वस्तुओं को प्रिजर्वेटिव (द्रव्य) प्रयोग करके रखने की परम्परा काफी पुरानी है। प्रिजर्वेटिव एक ऐसा कृत्रिम द्रव्य है जो खाद्य-वस्तुओं, दवाइयों, पेण्ट्स, बायलोजिकल सैम्पल, लकड़ी, कॉसमेटिक तथा कृत्रिम पेय आदि में मिलाया जाता है। यह इन वस्तुओं को लम्बे समय तक इनकी वास्तविक स्थिति बनाए रखने के काम आता है।


प्रिजर्वेटिव किससे बनता है?


प्राचीन काल में यह द्रव्य प्राकृतिक चीजों, जैसे- नमक, चीनी, शराब, सिरका, आदि से बनाए जाते थे, परन्तु अब सिंथेटिक कैमिकल से बनाए जाते हैं। अब सोरबिक एसिड, बेजुएट एसिड, कैल्सियम प्रोपोनेट, सोडियम नाइट्रेट और डिसोडियम ईडीटीए, लेक्टा एसिड आदि एंटी माइक्रोशियल एडिटिव के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त बीएचटी, बीएचए टीबीएचक्यू, प्रोपायल जैलेट, आदि साल्ट एंटीऑक्सीडेन्ट के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। ये साल्ट खाने की वस्तुओं में मिलाये जाते हैं।


एंटीमाइक्रोबियल्स को फलों, अनाज, से बनी चीजें, पनीर, आदि में प्रयोग किया जाता है।


नाइट्रेट का प्रयोग मीट में करते हैं। यह बैक्टीरिया तथा रंग- परिवर्तन से बचाता है।


एल्जिमिक एसिड, एस्पार्टम, बेंजोएट एसिड, कोकिनियल एक्सट्रैक्ट अथवा कार्माइन, फ्लोराइड, इंटरेस्ट्रिफाइड फैट, हाई फ्रक्टोज, कॉर्न सिरप, हाइड्रोलाइज्ड वेजीटेबल्स प्रोटीन, माल्टोडेक्सट्रिन, मानिटोल फुड-स्टार्च, ओलेस्ट्रा, आदि अनेक द्रव्य-लवणों का प्रयोग प्रिजर्वेटिव के रूप में किया जाता है जो मानव शरीर के लिए अत्यन्त घातक हैं।



प्रिजर्वेटिव का मानव-शरीर पर प्रभाव


उत्पादकों के लिए तो वरदान है कि उनकी वस्तुएँ लम्बे समय तक खराब नहीं होतीं, परन्तु उपभोक्ताओं के लिए वे अनेक बीमारियों का कारण सिद्ध होती हैं। इनका मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।


नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स का शरीर पर प्रभाव- इसका प्रयोग मांस को बैक्टीरिया से बचाने के लिए किया जाता है। अमेरिका की एनवारल मेन्टल प्रोटेक्सन एजेन्सी ने शोध किया और पाया कि इस प्रजर्वेटिव के प्रयोग से कैंसर, रक्ताल्पता, ब्रेन-ट्यूमर, नाक का ट्यूमर, मधुमेह, दस्त, श्वांस-रोग, श्वांस-नली में इन्फेक्सन, पेट-दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, खूनी दस्त तथा मूच्र्छा-जैसे रोग होने की सभावनाएँ हो सकती हैं।


सल्फाइट डेण्जर्स : इस प्रजर्वेटिव का प्रयोग सूखे मेवे, शराब, टमाटर से बने उत्पाद आदि को सुरक्षित रखने में किया जाता है। यह विटामिन बी-1 को नष्ट करता है तथा त्वचा-रोग, पाचन-संस्थान के रोग, उच्च रक्तचाप, पेट-दर्द, दस्त तथा अस्थमा-जैसे रोगों को जन्म देता है।


सोडियम बैंजुण्ट : यह प्रिजर्वेटिव खाद्य-वस्तुओं में बैक्टीरिया से रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से मानव-शरीर में अस्थमा, रियेक्सन, एलर्जी हो सकती है। विटामिन 'सी' के साथ मिलाने से कैंसर, रक्ताल्पता हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसके अधिक प्रयोग से दिल का दौरा पड़ सकता है, तिल्ली, यकृत, किडनी-फेल ब्रेन, तथा एड्रीनल ग्लैण्ड्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।


एंटी-ऑक्सीडेंट प्रजर्वेटिव : प्रोपायजैलेट तथा टेर्ट बेटलहाइड्रोक्यूनोन प्रिजर्वेटिव का प्रयोग खानेवाली वस्तुओं- सब्जियों, तेलों तथा मीट में किया जाता है। इसके प्रयोग से कैंसर, ट्यूमर होने के अवसर बन सकते हैं।


कृत्रिम स्वाद : आजकल लोग स्वाद के दीवाने हो गए हैं। कम्पनियाँ कृत्रिम स्वाद तैयार करने के लिए डाई, साल्ट, आदि का प्रयोग करती हैं। ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। एसेसुलफेम पोटैशियम एक कृत्रिम मीठा बढ़ानेवाला साल्ट है जो चीनी से कई गुना अधिक मीठा होता है। इसके सेवन से फेफड़ों में कैंसर, थॉसमस-ग्रंथि में ट्यूमर, रक्ताल्पता, श्वसन-संस्थान की बीमारियाँ, एलर्जी, अस्थमा, श्वांस लेने में तकलीफ़ तथा मधुमेह रोग भी हो सकता है।


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