“नयी टेक्नोलॉजी अपनाकर बड़ी संख्या में कृषि की ओर आकर्षित हो रहे हैं लोग राधामोहन सिंह

देश की कृषि यहाँ की अर्थव्यवस्था, मानव-बसाव तथा यहाँ के सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे एवं स्वरूप की आजभी आधारशिला बनी हुई है। देश की लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या की कृषिकार्यों में संलग्नता तथा कुल राष्ट्रीय आय के लगभग 27.4 प्रतिशत भाग के स्रोत के रूप में कृषि महत्त्वपूर्ण हो गई है। देश के कुल निर्यात में कृषि का योगदान 18 प्रतिशत है। कृषि ही एक ऐसा आधार है, जिस पर देश के 55 लाख से भी अधिक गाँवों में निवास करनेवाली 75 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से आजीविका प्राप्त करती है। ‘दीकोर के ‘कृषि-विशेषांक के लिए संपादक प्रमोदकौशिक ने केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं किसान-कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह से कृषि एवं किसानों से जुड़े विविध मुद्दों पर बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंशः


लगभग ढाई वर्ष से आप कृषि मंत्री हैं। अपने कार्यकाल की उपलब्धियाँ बतायें?


इस वर्ष मई में हमारी सरकार को काम करते तीन साल हो जाएंगे। बीते ढाई साल में मोदी सरकार ने बहुत काम किया है। कृषि में सरकार की सही नीतियों, पहल और अनुकूल मौसम के कारण ऐसा पहली बार हुआ है जब वर्ष 2016-17 में खाद्यान्नउत्पादन के पिछले सारे रिकार्ड टूट गए हैं। 2016-17 के फसल मौसम में भारत 271.98 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन करने को तैयार है। 15 फरवरी को आए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार चावल, गेहूँ और दालों का इस साल रिकार्ड स्तर पर उत्पादन होगा। चावल 108.86 मिलियन टन, गेहूँ 96.64 मिलियन टन, दलहन 22.14 मिलियन टन और तिलहन 33.60 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। मोदी सरकार ने कृषि-अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पिछले ढाई साल में कई कदम उठाए हैं। हमारी सरकार ने किसानों के हित में सॉयल हेल्थ कार्ड, नीम-कोटेड यूरिया, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय कृषि बाजार योजनाएँ लागू की हैं। कृषि-वानिकी योजना के अलावा नीली क्रांति, श्वेत क्रांति को भी तेज किया गया। इन योजनाओं का ही नतीजा है कि इस वर्ष कृषि विकास दर 4.4 प्रतिशत हो गया है।



सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने बात कही है। इसके लिए क्या योजनाएँ हैं? ।


सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए एकसाथ तीन मोर्चे पर काम कर रही है। पहला है खेती का लागत कम करना, दूसरा खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाना, और तीसरा किसानों को उपज के लिए अच्छा और बड़ा बाजार मुहैया कराना। खाद्यान्न-उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार सॉयल हेल्थ कार्ड और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की मदद ले रही है। साथ ही किसानों को उन्नत किस्म के बीज और अन्य रोपण-सामग्री भी उपलब्ध करा रही है। लागत कम करने के लिए सरकार नीम-कोटेड यूरिया के इस्तेमाल और जैविक खेती पर जोर दे रही है। खर्च घटाने के लिए सरकार ने उर्वरक डीएपी पर 2,500 रुपये प्रति टन घटाया है और एमओपी पर 5000 रुपये प्रति टन कम किया है। डीएपी खाद के 50 किलो के बोरे पर 125 रुपये और एमओपी खाद के 50 किलो के बोरे पर 250 रुपये कम किया है। किसानों को अच्छा और बड़ा बाजार मुहैया कराने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार खोला है। आय बढ़ाने के लिए किसानों को पशुपालन, डेयरी, बागवानी, कृषि-वानिकी, मुर्गीपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन, मेंड़ पर पेड़-जैसी अन्य गतिविधियों के लिए आर्थिक मदद दे रही है। इसके साथ ही सरकार फसलों के मूल्य-संवर्धन के लिए भी काम कर रही है। मूल्य-संवर्धन का अर्थ है कृषि-उपज को बाजार की जरूरतों के हिसाब से तैयार करना और उनका विपणन करना। नारियल के साथ कई अन्य बागवानी-फसलों का मूल्य संवर्धन किया जा रहा है।


इसके अलावा सरकार खेत से बाजार तक कृषि-उपज पहुँचाने के लिए देशभर में भण्डारण, शीत-भण्डारण श्रृंखला (कोल्ड चेन) और अन्य ढाँचागत सुविधाएँ खड़ी कर रही है ताकि किसानों की उपज बरबाद न हो और उनके उचित रखरखाव और मार्केटिंग के जरिए उन्हें उनकी अच्छी कीमत दिलाई जा सके। सरकार कृषि में रोजगार-सृजन और रोजगार के मौके बढ़ाने के मोर्चे पर भी पूरी गभीरता से काम कर रही है।


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