सक्षम किसान, समृद्ध भारत

आजादी के बाद एक बार देश की बागडोर सौभाग्यवश एक गाँव के छोटे कद के किसान श्री लाल बहादुर शास्त्री के हाथ लगी। उस समय देश में अनाज की पैदावार कम होने से अनाज संकट का दौर था। इस संकट से निपटने के लिए शास्त्री जी ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। और इस देशव्यापी आह्वान में उन्होंने विज्ञान के सहयोग से नयी तकनीक, उन्नत बीज और किसानों के आधुनिक प्रशिक्षण पर जोर दिया था। देखते-ही-देखते देश की कृषि ने एक नया रूप लेना शुरू कर दिया।




शास्त्री जी के बाद एक अन्य प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह ने भी किसानों और खेती की अहमियत बताते हुए कहा था कि देश की खुशहाली का रास्ता गाँव के खेतों और खलिहानों से होकर गुजरता है। आज के समय में किसान को दो चीजों की जरूरत हैपूंजी और तकनीक की। आज के आधुनिक और इंटरनेट युग में किसान समय के मुताबिक खेती करें, तभी किसानों का विकास संभव है। पुराने किसानों की अधिकांश पीढी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन नयी पीढ़ी के अधिकतर किसान शिक्षित हैं। उनके शिक्षित होने के नाते उन्हें बहुत मदद मिलती है। वे प्रयोगशाला में अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवा लेते है। दशकों से परंपरागत तरीके से खेती से जुड़े भारत के सैकड़ों किसान इन दिनों खेती की नयीनयी तकनीक और तरीके अपनाकर अब एग्रोप्रेन्योर बनते जा रहे हैं और अब खेती उनका बिजनेस भी बनता जा रहा है।


ये उभरते एग्रोप्रेन्योर अपनी जिंदगी के साथ-साथ इससे जुड़े लोगों की जिंदगी बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ‘किसान: देश की शान' में हम देश के चुने हुए 14 किसानों की सफलता की कहानी पेश कर रहे हैं जिन्होंने अपने कौशल सेनकेवल उपज में वृद्धि और अनेक नयी किस्मों के उत्पादन में भी सफलता प्राप्त की है, बल्कि अनेक नये रोजगारों का भी सृजन किया है और जिनकी जिसकी वजह से ही आज भारत में हरित क्रांति का परचम लहरहा है।