श्रीरामचरितमानस में उल्लिखित वनस्पतियाँ

श्रीरामचरितमानस हिंदुओं का सुप्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय ग्रंथ है। संसार के समस्त देशों के धार्मिक साहित्य में ऐसा कोई ग्रंथ नहीं जिसकी तुलना श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदासजी-विरचित ‘श्रीरामचरितमानस' से की जा सके, उसमें विज्ञान,धर्म,राजनीति, आपसी भाईचारे,कुशल प्रशासन, सामाजिक संगठन, सत्य एवं सदाचार का समावेश हो. जिसका वर्णन इतनी सरल, मधुर व ओजस्वी भाषा में हो, जिसे प्रत्येक स्त्री-पुरुष, बालक-वृद्ध तथा अमिर-गरीब सहजता से पढ़ व समझ सकें, जिसके पात्र का नाम लेने मात्र से सांसारिक बंधन से मुक्ति मिल जाती हो। ऐसा सर्वगुणसम्पन्न ग्रंथ इस संसार में कदाचित् अन्यत्र उपलब्ध नहीं। इस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी ने मुगलबादशाह अकबर के शासनकाल में संवत् 1631 (1574 ई.) में अयोध्या में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन प्रारंभ की और दो साल, सात महीने तथा छब्बीस दिन में ग्रंथ की समाप्ति हुई। इस ग्रंथ में सात काण्ड (बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड) हैं, जिनमें मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन-चरित्रका सुन्दरतम वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी ने चौपाई, दोहा, सोरठा एवं छन्दों के माध्यम से किया है। इस ग्रंथ की लोकप्रियता इतनी है कि आज हर हिंदू इसका पाठ करते हैं तथा इसकी पूजा करते हैं। श्रीरामचरितमानस के सातों काण्डों में कुल मिलाकर 59 प्रकार की वनस्पतियों की चर्चा है:



1. हिंदी-नाम : नील सरोरुह, नील कंज, नील जलज, नील जलजाभ, इंदीवर, नील नलिन, नीलोत्पल, नील कंज, नील नीरज, नीलाम्बुज, नील तामरस; वानस्पतिक नाम- Nymphaea nouchali Burm.f.; कुल- Nymphaea- ceae; स्वभाव- जलीय पौधा; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड. सो. 3, दो. 1,146,199,209,233; अयोध्याकाण्ड सो. 3, दो. 246; किष्किन्धाकाण्ड सो. 1; दो. 1,30; लंकाकाण्ड दो. 56,109; उत्तरकाण्ड दो. 51,77


2. हिंदी-नाम : बारिज, कंज, पदुम, जलज, कमल, पंकज, सरोरूह, बनज, जलजाता, सरोज, राजीव, बनजाता, राजिव, मृनाल, पुरइन, पंकरूह, पाथोज, अंबुज, नलिन, नलिनी, सरसिज, जलजाभ,नीरज, कुबलय, छतज, अरविंद, जलजारुन, तामरस, जलरुह, अब्ज, अंभोज; वानस्पतिक नाम- Nelumbo nucifera Gaertn; कुल- Nelumbonaceae; स्वभाव- जलीय पौधा; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड, सो.3,5; दो. 1,5,14,16-18,20,34,37,40,43,45, 68,86,93, 96,98,100-101,104,106-107,119,134,143,147, 148-149,177,186,188,210-212, 219,221,223, 225-227,231-232,236,238-239,243-244,247248,252-255,259,264,268-269,285,288,292, 316,319,324-325,327-328,333, 339, 341, 346, 352,358; अयोध्याकाण्ड दो. 1,9,12,17,38,56-57, 60,62,66-67,69,71,81,84,86,88,97-98,100101,107,113,115-116,121-122,124-125,151, 154,159,176,191,195,204,210,224,226,237, 239,242,249,251,253,259-260,263,266,274, 277,291,297,301,307-308,312,317-318,325; अरण्यकाण्ड दो.1, 4,6,7,10-13,16,29-30,32,3436,39-40,44-46; किष्किन्धाकाण्ड दो. 17, 23-25; सुन्दरकाण्ड दो. 7-10,15,23, 27,29,32-33,3536,42,45,47,49,56; लंकाकण्ड दो. 1,6,11,18,22,25, 35,38,46,53,55-56,59,61,63,67,71,80,90,92,98, 99,106,109,111,113-115,121; उत्तरकाण्ड सो. 1-3; दो. 1,4-5,7,9,12-15,17-20,23-25,29,31,33,35,38, 49,51,56,76, 83,110,113-114,119,126 ।


3. हिंदी-नाम : कपास; वानस्पतिक नाम- Gossypium herbaceum L.; कुल- Malvaceae; स्वभाव- झाड़ी; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड. सो.2; उत्तरकाण्ड दो.117


4. हिंदी-नाम- बटु, अख्य बटु, बट; वानस्पतिक नाम Ficus bengalensis L.; कुल- Moraceae; स्वभाव- वृक्ष; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड, दो. 2,44,52,58,106; अयोध्याकाण्ड दो.94,105,114-115,124, 151,237,277, 286,321; लंकाकण्ड दो. 93; उत्तरकाण्ड दो. 56 57,63,110


5. हिंदी-नाम : मलय, चंदन, श्रीखण्ड; वानस्पतिक नामSantalum album L.; कुल- Santalaceae; स्वभाव वृक्ष; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड. दो. 10,194,219; अयोध्याकाण्ड दो. 127,141,170,176,215; लंकाकण्ड दो. 109; उत्तरकाण्ड दो. 37,111,120


6. हिंदी-नाम : सालि, धान, अच्छत, सुसाली, साली; वानस्पतिक नाम- Oryza sativa L.; कुल- Poaceae; स्वभाव- साक; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड. दो. 19,32,36, 42,263, 296,346; अयोध्याकाण्ड दो. 253,261; उत्तरकाण्ड दो. 101



7. हिंदी-नाम : भांग; वानस्पतिक नाम- Cannabis sativa L.; कुल- Cannabinaceae; स्वभाव- साक; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड. दो. 26


8. हिंदी-नाम : तुलसी, तुलसिका, तुलसि; वानस्पतिक नाम- Ocimum tenuiflorum L.; कुल- Lamiaceae; स्वभाव- झाड़ी; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड, दो. 26, 31,243,346; अयोध्याकाण्ड दो. 237; अरण्यकाण्ड दो. 5; सुन्दरकाण्ड दो. 5; उत्तकाण्ड दो. 3,29


9. हिंदी-नाम : कलपतरु, कल्पतरु कामतरु, बिबुधतरु, देवतरु, सुरतरु, सुररूख, कल्पद्रुम; वानस्पतिक नाम- Adansonia digitata L; कुल- Bombacaceae; स्वभाव- वृक्ष; रा.च.मा. में उल्लेख- बालकाण्ड, दो. 2627,32,96,107-108,146,149,227,324-325,335, 347; अयोध्याकाण्ड दो. 29,35,42,53,113,119,137, 215,223,267,308; किष्किन्धाकाण्ड दो. 10; लंकाकण्ड दो. 2; उत्तरकाण्ड दो. 35,84,126


10. हिंदी-नाम : आमलक; वानस्पतिक नाम- Phyllanthus emblica L.; कुल- Euphorbiaceae; स्वभाव- वृक्ष; रा.च.मा. में उल्लेख-बालकाण्ड, दो. 30


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