एनसीएसटी जनजाति समाज के हितों की रक्षा एवं उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है : नन्द कुमार साय

दइण्डियन सोसाइटी ऑफ़ इंटरनेशनल, ल.के. वी.के. सभागार में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एनसीएसटी, भारत सरकार के नवनियुक्त अध्यक्ष एवं सदस्यों का अभिनन्दन एवं स्वागत किया गया। इस अवसर पर एनसीएसटी, भारत सरकार के नवनियुक्त अध्यक्ष नन्द कुमार साय जी ने कहा कि हम जनजाति-समाज के हितों की रक्षा एवं उनकी सुरक्षा के लिए संकल्पित ही नहीं, प्रतिबद्ध भी हैं। हमारे सामने बहुत-सी चुनौतियाँ भी हैं। उन सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमें सबसे पहले आयोग के अन्दर के सिस्टम यानी आंतरिक उपकरण को प्राथमिकता के साथ दुरुस्त करना है।



। आयोग की सबसे पहली प्राथमिकता है कि देशभर के जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में सुधार के लिए युद्धस्तर पर प्राथमिक विद्यालयों एवं अस्पतालों का इंतजाम करे; क्योंकि जनजातियों के पास शिक्षा न होने के कारण वे समाज में शोषण का शिकार होते रहते हैं। एनसीएसटी बहुत जल्द प्लेसमेंट-एजेंसियों पर नकेल कसनेवाला है; क्योंकि ऐसी बहुत-सी शिकायतें आयोग के पास आई हैं कि प्लेसमेंटएजेंसियों द्वारा जनजातीय समाज की लड़कियों और औरतों को काम के नाम पर बड़े-बड़े महानगरों में लाया जाता है, फिर उन्हें मानव तस्करों के हाथों बेच दिया जाता है।


। कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली ने कहा कि हमारे शास्त्रों, धर्मग्रंथों, यहाँ तक कि रामायण में भी मिलता है कि जनजाति वर्ग हमारे समाज का एक हिस्सा था और आज ज़रूरत है कि वापस इन्हें फिर से अपना एक अंग बनाने कीक्योंकि इनके बिना भारतीय हिंदू समाज अधूरा-सा है।


जगदेवराम उरांव ने कहा कि जनजाति समाज के हितों की सुरक्षा हो, इसलिए प्रधानमंत्री और सरकार ने पहल की है। स्वावलंबन के लिए सुदूरवर्ती वनवासी क्षेत्रों में भी कौशल विकास केन्द्र खुलवाए हैं। चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक जनजाति समाज शिक्षित नहीं होगा, तब तक वह सरकार की सभी योजनाओं से वंचित रहेगा, जो उनके लिए चलाई जा रही हैं। शिक्षा के आभाव में किसी भी सुविधा का लाभ भी नहीं उठा सकता है। यहाँ तक कि वह अपने मूल अधिकार से भी वंचित रह जाता है। इसलिए जनजाति समाज के उत्थान के लिए सबसे प्राथमिक जरूरत शिक्षा है। जब तक जनजातीय समाज की सर्वांगीण उन्नति नहीं होगी, तब तक भारत के समाज के अंदर ऐसी ही उथल-पुथल बनी रहेगी। 


वनवासी कल्याण आश्रम के संयक्त महामंत्री विष्णुकांत जी ने कहा कि एनसीएसटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 338-ए के अंतर्गत गठित एक संवैधानिक आयोग है, जो 5-सदस्यीय होता है और इस आयोग का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। देश के जनजाति समुदायों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण एवं क्रियान्वयन तथा उनका विकास सुनिश्चित करना इस आयोग का मुख्य कार्य है। लेकिन दुःख की बात है। कि आयोग के पिछले अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा एक बार भी आयोग की वार्षिक रिपोर्ट नहीं बनाई गई है। इससे प्रतीत होता है कि आयोग के अन्दर कितनी गंदगी मौजूद है। इस गंदगी को नये अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों द्वारा साफ करना होगा और जनजातीय समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए तत्परता के साथ सजग एवं निष्ठापूर्वक काम करना होगा। जनजातीय समाज के विकास से ही देश की उन्नति और विकास संभव है; क्योंकि देश के विकास के लिए जितने भी प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत है, वे जनजातीय क्षेत्रों में ही उपलब्ध हैं। कार्यकम के अंत में वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली के सह-सचिव आनन्द भारद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त किया।