जल के महत्व को दर्शाती फिल्म

वन वर्ल्ड फिल्म्स प्रा.लि. के बैनर तले 2014 में निर्मित हिंदी- फिल्म 'जल' में विदेशी मेहमान पक्षी ‘फ्लोमिंगो की संख्या में गिरावट, इसका कारण जानने के लिए शोध-कार्य, इसके संरक्षण-संवर्धन के लिए जलाशयों में जलवृद्धि की व्यवस्था करना, स्वच्छ पानी के अभाव में दो पड़ोसी गाँवों के बीच जल के कारण वर्षों से चली रही शत्रुता एवं संघर्ष और इसके बीच एक प्रेम-कथा का विवाह में परिणत होने का, गुजरात के तपते रेगिस्तान में ग्रामीण संस्कृति की पृष्ठभूमि में सुन्दर और कलात्मक ढंग से फ़िल्मांकन किया गया है। निर्देशक गिरीश मलिक की टीम ने रण और कच्छ के कई क्षेत्रों में पचास डिग्री तापमान में शूटिंग-कार्य कर अपनी योग्यता, कर्मठता और समर्पण-भाव का परिचय दिया है। फ़िल्म में ग्रामीणों के द्वारा एक गंभीर प्रश्न उठाया गया है- आदमी के लिए पानी नहीं, पक्षियों के लिए पानी। हमें कौन बचायेगा?


महिला पर हमला करता है। सही वक्त पर बक्का अपने सीने पर वार सहकर किम मेम की रक्षा करता है। यह घटना आनेवाले जलसंकट के लिए हिंसा का संकेत करती है। बक्का शत्रु-गाँव के मुखिया की सुन्दर युवा पुत्री केसर (कीर्ति कुल्हड़ी) से प्यार करता है। दोनों का विवाह हो जाता है।


फ़िल्म में कथानक के अनुसार गुजरात में रेत और नमक से भरपूर रण कच्छ के एक गाँव के पास स्थित जलाशय में विदेशी मेहमान पक्षी फ्लोमिंगो का बड़ी संख्या में कुछ विशेष माह तक प्रवास होता है। अप्रवासी पक्षी की घटती संख्या से पक्षी के मूल देश के शोधकर्ता गम्भीर और चिन्तित होते हैं। रूस की महिला किम (अभिनेत्री साइदा जूल्स), स्थानीय गाइड रामखिलाड़ी (यशपाल शर्मा) के साथ गाँव पहुँचती है। साधारण अंग्रेजी बोलनेवाला रामखिलाड़ी दुभाषिया और गाइड का काम करता है। उसका काम है उपयुक्त जलाशयों की खोज करना और ग्रामीणों को समझाकर मेम साहब के लिए उनकी सहायता लेना। शोध से स्पष्ट हो जाता है। कि पक्षियों के पंखों में नमक के चिपकने से उड़ने में दिक्कत होने के कारण पक्षियों, विशेषकर नवजात पक्षियों की मौत हो जाती है। किम मेम ग्रामीणों की मदद से झील बनाने का निर्णय करती है। ग्रामीण मजदूरी मिलने के बावजूद नाराज हैं कि गाँव में पीने तक का पानी नहीं है और मेम साहब को पक्षियों की चिन्ता ज़्यादा है। एक समानान्तर कथा भी चलती है। शुद्ध पेयजल के कारण दो पड़ोसी गाँवों में वर्षों से शत्रुता व्याप्त है। गाँव का एक युवक बक्का (पूरब कोहली) जल का देवता के नाम से प्रसिद्ध है। वह बताता है कि धरती के नीचे कहाँ से जल निकलेगा। गाँव की लड़की कजरी (तनिष्ठा चटर्जी) उससे प्यार करती है। उसका भाई राकला (रवि गोसाई) बक्का का दोस्त है। गाँव में जल समस्या है। शत्रु-गाँव में कुआँ है। रूस से आई किम मेम साहब भटककर वहाँ पहुँचती है। पानी लेने की जानकारी पर हिंसक महिलाओं का झुण्ड विदेशी महिला पर हमला करता है। सही वक्त पर बक्का अपने सीने पर वार सहकर किम मेम की रक्षा करता है। यह घटना आनेवाले जलसंकट के लिए हिंसा का संकेत करती है। बक्का शत्रु-गाँव के मुखिया की सुन्दर युवा पुत्री केसर (कीर्ति कुल्हड़ी) से प्यार करता है। दोनों का विवाह हो जाता है।


आगे और---