सभी के सहयोग से गंगा होगी। प्रदूषणमुकत

तीन वर्षों से आप जल-संसाधन मंत्री हैं, अपने कार्यकाल की उपलब्धियां बतायें।


जल-संसाधन, नदी-विकास और गंगा- संरक्षण मंत्रालय की 6 प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नानुसार हैं


(1) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) : ऑन फार्म जल वास्तविक पहुँच को बढ़ाने तथा सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषियोग्य क्षेत्र को बढ़ाने, ऑन फार्म जल उपयोग दक्षता में सुधार, सतत जल-संरक्षण पद्धतियों को शुरू करने आदि के लक्ष्य से वर्ष 2015-16 के दौरान मिशन मोड़ में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को शुरू किया गया है। इस स्कीम के तहत 99 परियोजनाओं को दिसम्बर, 2019 तक पूरा करने के लिए पहचान की गई है। पीएमकेएसवाई (एआईबीपी) के तहत चल रही परियोजनाओं के लिए केन्द्रीय सहायता के रूप में पहले ही 7537.35 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।


(2) एनएमसीजी का पुनर्गठन : पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत गंगा नदी के संरक्षण, संरक्षा और प्रबंधन-संबंधी राष्ट्रीय परिषद् का गठन दिनांक 07.10.2017 की अधिसूचना के माध्यम से किया गया। गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण के रोकथाम, नियंत्रण और निवारण के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तर पर पाँच-स्तरीय संरचनाओं का सृजन किया गया है। जल के निरंतर पर्याप्त बहाव को सुनिश्चित करने के लिए, ताकि गंगा का संरक्षण हो सके, निम्नलिखित उपाय किए गए हैं :



 मई, 2014 से 292.69 एमएलडी की नये सीवेज शोधन संयंत्रों, 197 नये घाटों और 116 नये शवदाह गृहों-संबंधी गंगा सफाई परियोजनाओं के लिए 3,633 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।


 कुल आवंटित निधि में से 549 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की औसत से 1647.30 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है।


स्वच्छ भारत (ग्रामीण) के लिए पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को कुल 578 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, जिनमें वर्ष 2015-16 में 263 करोड़ रुपए और वर्ष 2016-17 में 315 करोड़ रुपए थे।


(3) राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना : देश के जल संसाधन प्रचालन के आधुनिकीकरण और विश्वसनीय, सटीक और अटूट स्वचालित आंकड़ा-संग्रह और प्रसार के माध्यम से आयोजना के लिए अप्रैल, 2016 में प्रचालित परिपाटी से हटकर 3,640 करोड़ रुपए की परियोजना का अनुमोदन किया गया था।


(4) पोलावरम् बहुउद्देशीय परियोजना की फास्ट ट्रेकिंग : 2.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई एवं 960 मे.वा. विद्युत- उत्पादन के लिए पोलावरम् परियोजना (आंध्रप्रदेश/तेलंगाना), जो कि गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देशीय परियोजना है, को फास्य ट्रेक पर रखा गया है। मई, 2014 से इसके लिए आंध्र प्रदेश राज्य सरकार को 3364.6 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है।


(5) नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी परियोजना में तेजी लाना : नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी कार्यक्रम पर भी विशेष ध्यान दिया गया है और दिनांक 23.09.2014 को माननीय मंत्री (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण) की अध्यक्षता में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी एक विशेष समिति की स्थापना की गई है। इसमें विभिन्न नदियों को आपस में जोड़कर अतिरिक्त जलवाले बेसिनों से जल की कमीवाले बेसिनों में जल के अंतर-बेसिन अंतरण की परिकल्पना की गई है। विगत दो वर्षों के दौरान किए गए कठिन प्रयासों के कारण केन-बेतवा संपर्क राष्ट्रीय परियोजना को सभी सांविधिक स्वीकृतियां प्राप्त हो गई हैं। और 2017 में इसके शुरू किए जाने की संभावना है।


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