जानें भारत की पारमाणविक क्षमता

आम तौर पर समाज में किसी देश की परमाणु ताकत का अर्थ सिर्फ विनाशकारी हथियारों से जोड़कर देखा जाता है, जबकि वास्तव में परमाणुसम्पन्न देश का अर्थ है कि कोई देश किस स्तर पर परमाणु ऊर्जा का प्रयोग अपनी ऊर्जा-पूर्ति के कार्यों में कर रहा है। दुनिया में भारत सहित 31 देश हैं जो परमाणु-स्रोत से बिजली उत्पन्न कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने ऊर्जा रिएक्टर सूचना प्रणाली के आँकड़ों के अनुसार मई 2015 में एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है जिसमें भारत को परमाणु-ऊर्जा से बिजली-उत्पादन के मामले में 12वें स्थान पर स्थान पर दिखाया गया है। हालांकि अपना देश चलित परमाणु बिजलीघरों की संख्या के मामले में छठे स्थान पर है।



वर्तमान स्थापित परमाणु विद्युत क्षमता । 5780 मेगावाट है, जिसमें 2019 तक सरकार द्वारा कमीशन/निर्माणाधीन परियोजनाओं के पूरा होने पर प्रगतिशील 10080 मेगावाट की वृद्धि की उम्मीद है।


भारत ने अमेरिका, फ्रांस, रूस, नामीबिया, मंगोलिया, कोरिया गणराज्य, अर्जेंटीना गणराज्य, इंगलैण्ड, कजाकिस्तान, कनाडा, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के साथ परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए हैं।


भारत के पास एक समृद्ध और काफ़ी हद तक स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम है। और 2024 तक 14.6 GWe परमाणु क्षमता तथा 2032 तक यह 63 GWe परमाणु-क्षमता की उत्पादकता का लक्ष्य हासिल करने की और अग्रसर है। भारत 2050 तक परमाणु ऊर्जा से बिजली के 25% की आपूर्ति के उद्देश्य से आगे बढ़ रहा है; क्योंकि भारत अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम के चलते परमाणु-अप्रसार सन्धि के बाहर है, यह 34 वर्ष से बड़े पैमाने पर परमाणु-संयंत्र या सामग्री के व्यापार से 2009 तक अछूता था। यही कारण है कि भारत असैन्य परमाणु ऊर्जा के अपने विकास में बाधा के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले के वैश्विक व्यापार पर रोक और स्वदेशी यूरेनियम की कमी के कारण भारत ने थोरियम के अपने भण्डार का दोहन करने के लिए एक अनोखा परमाणु ईंधन-चक्र विकसित किया कर लिया है। भारत तेजी से रिएक्टरों और थोरियम ईंधन चक्र में अपनी विशेषज्ञता के कारण परमाणु-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।


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