आपका स्मार्ट फोन आपका डॉक्टर

स्वाधीनता के 70 वर्ष बाद भी ‘सबको स्वास्थ्य' का लक्ष्य दिवास्वप्न बना हुआ है। इसका मुख्य कारण है देश के दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य-सुविधाओं की अनुपलब्धता और मरीज का समय पर पास के अस्पताल में न पहुंच पाना। कई बार तो पास का अस्पताल भी 50-60 किलोमीटर से कम दूरी पर नहीं होता। ऐसे में मरीज को समय पर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध नहीं हो पाती। देश में स्वास्थ्य-सेवाओं की इस गम्भीर स्थिति को देखते हुए इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी रिसर्च एकेडमी के वैज्ञानिकों ने स्मार्ट फोन-आधारित रिमोट हेल्थ (मेडीक्लाउड) नाम से एक ऐसी व्यवस्था विकसित की है कि यदि दूर-दराज़ के गाँव में भी कोई व्यक्ति बीमार हो जाए, तो स्मार्ट फोन के माध्यम से उसकी बीमारी के लक्षणों को अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों के पास भेजा जाता है, जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सक बीमारी के लक्षणों का विश्लेषण कर उसका उपचार मरीज के पास बैठे डॉक्टर/तीमारदार को बता देते हैं। इस प्रकार देश के किसी भी हिस्से में रोगी का समय पर उपचार सम्भव है। यह पूरी व्यवस्था इतनी सरल है कि कोई अकुशल व्यक्ति भी घर बैठे इससे लाभान्वित हो सकता है।



कफ एनलाइजर


एकेडमी ने मोबाइल फोन के लिए 'कफ एनलाइजर' नाम से एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो मरीज़ की आवाज़ और बात करने के आधार पर खाँसी की जाँच करेगा और यह देश की सभी भाषाओं में उपलब्ध होगा। स्मार्ट फोन-आधारित एक ऐसी किट भी तैयार की गई है जो मरीज की नब्ज, श्वांस, खाँसी और ईसीजी की लगातार निगरानी करती रहेगी। ‘कार्डियो वाच' नाम से कम मूल्य का एक ऐसी उपकरण विकसित किया गया है जो रक्तचाप को, बिना आर्म कफ लगाए, रिकॉर्ड कर क्लाउड-आधारित चिकित्सा-व्यवस्था को भेजा जाएगा, जहाँ इसका विश्लेषण कर मरीज को उपचार के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश दिए जा सकेंगे। इस प्रकार से किसी भी व्यक्ति का स्मार्ट फोन उसके लिए किसी चिकित्सक की तरह ही उसके रोग की जाँच करने में सहायता करेगा और समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश देने में सहायक होगा।


एस मास्क भारत में श्वांस-रोग (दमा) बहुत सामान्य और गंभीर बीमारी है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति इससे पीड़ित है। अभी तक दमा की स्थिति का आंकलन स्टेथस्कोप से या रोगी द्वारा बताए जानेवाले लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। इससे रोग की स्थिति का सही-सही आकलन नहीं हो पाता। इस समस्या के निदान के लिए वैज्ञानिकों ने एकेडमी के निर्देशन में ‘एस मास्क' नाम से स्मार्टफोनआधारित एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिसमें सेंसर से युक्त एक छोटा मास्क रोगी के मुँह पर लगाकर प्रति मिनट सांस लेने की आवृत्ति को नापा जाता है, जिससे फेफड़ों की स्थिति का आकलन कर रोगी का उपयुक्त उपचार किया जा सकता है।


प्राकृतिक आपदा में सहायक स्मार्ट फोन


यदि कहीं पर किसी आपदा के कारण संचार-व्यवस्था टूट गई हो, तो ऐसी स्थिति में संचार-व्यवस्था को तत्काल पुनस्र्थापित करने के लिए वैज्ञानिकों ने ‘फोर्कआईटी' नाम से एक ऐसी प्रणाली बनाई है जिसमें आपदा में फँसे व्यक्ति का पता लगाकर उसे बचाया जा सकता है। यह प्रणाली भूकम्प- जैसी विनाशकारी आपदा की स्थिति में बहुत उपयोगी है। प्रायः भूकम्प के कारण सभी प्रकार की संचार-व्यवस्था ठप्प हो जाती हैऐसी स्थिति में इसकी सहायता से राहत दल बहुत ही कम समय में घटनास्थल पर संचार-व्यवस्था प्रारम्भ कर सकेगा, जिससे उस क्षेत्र में फंसे हुए लोगों के मोबाइल फोन के संकेत ग्रहण कर राहत दल को उसकी जानकारी देगा। इसके आधार पर । राहत दल संकट में फँसे व्यक्ति को वहाँ से निकालकर आवश्यक सहायता उपलब्ध करा सकेगा। इस प्रणाली की सहायता से सुरक्षा बल किसी स्थान पर छुपे हुए आतंकवादियों को भी ढूँढ़ सकते हैं। इस प्रणाली का उपयोग दूरदराज़ के ऐसे क्षेत्रों भी संचारव्यवस्था स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, जहाँ टावर नहीं लगाए जा सकते। यह प्रणाली पर्वतीय क्षेत्रों और मेलों में संचार-व्यवस्था स्थापित करने के लिए भी बहुत उपयोगी है।


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