जल-विद्युत ऊर्जा : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

पनबिजली सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत है।


पनबिजली सर्वाधिक इस्तेमाल किया जानेवाला अक्षय ऊर्जा-स्रोत है।


पनबिजली स्वच्छ अक्षय ऊर्जा-स्रोत है जो हवा को तो प्रदूषित नहीं करता है, लेकिन बाँधों का निर्माण और कार्य वहाँ के प्राकृतिक जल-तंत्र, वन्यजीव, मत्स्य प्रवाह तथा मानव आबादी को प्रभावित कर सकता है।


पनबिजली में वायु-प्रदूषण नगण्य है, क्योंकि इसमें कोई ईंधन नहीं जलाया जाता। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग का ख़तरा नहीं है।


पनबिजली में बांधों के उपयोग की आवश्यकता होती है, जो नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बदल सकती है।



सबसे पुराना प्रायोगात्मक पनबिजली संयंत्र इंग्लैंड के रोथबुरी स्थित क्रग्साइड में है।


विश्व का सबसे बड़ा पनबिजली संयंत्र श्री जोरजिज डैम, चीन में है।


पहला सबसे बड़ा एवं उल्लेखनीय जल-विद्युत संयंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका में नियाग्रा पर बनाया गया था।


 नियाग्रा जलप्रपात संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख जल-विद्युत संयंत्रों में से एक है।


दुनियाभर में पनबिजली 28.3 मिलियन लोगों की जरूरतों को पूरा करती है जो दुनिया का 20 प्रतिशत है।


पनबिजली 30 से अधिक देशों के लिए मुख्य ऊर्जा-स्रोत है।


नार्वे अपने कुल विद्युत-उत्पादन का 93 से 96 प्रतिशत पनबिजली से प्राप्त करता है।


पनबिजली का उत्पादन हर जगह नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें पूरे वर्ष  तेज बहाववाले पानी की आवश्यकता होती है।


अन्य अक्षय ऊर्जा-स्रोतों में जल विद्युत का लाभ यह है कि औसत वर्षा अत्यधिक पूर्वानुमानित है और इसलिए उत्पादन विश्वसनीय है तथा नदी-प्रवाह पवन-ऊर्जा की तरह पल-प्रतिपल घटता-बढ़ता नहीं है। ।


पनबिजली के लिए बनाए गए बांधों का उपयोग जलापूर्ति, बाढ़-नियंत्रण, सिंचाई, मत्सय पालन, पानी के खेलनौकायन आदि के लिए भी किया जा सकता है।


जल-विद्युत


गिरता या बहता हुआ पानी अपने सामने या रास्ते में आनेवाली चीज पर दबाव डालता है। इस गुण का उपयोग विद्युत बनाने में किया जाता है। बाँध या प्रपात बनाकर पानी को ऊपर उठाया जाता है जिससे इसमें तेज बहने का गुण पैदा हो जाता है। पानी की इस ताकत से टरबाइन को घुमाया जाता है जिससे जुड़ा विद्युत जेनरेटर चलने लगता है और विद्युत पैदा हो जाती है। इस विद्युत का प्रयोग घरों तथा कल-कारखानों में किया जाता है।


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