ब्लू वेल गेम केवल खेल या आतंकी खतरा?

पूरा विश्व इन दिनों आत्मघाती ‘ब्लू ह्वेल गेम' की गिरफ्त में है। रूस के मनोविज्ञान के छात्र फिलिप बडेकिन का दावा है कि उसने इस ऑनलाइन गेम का दावा है कि उसने इस ऑनलाइन गेम को बनाया था। इस गेम से प्रभावित होकर किसी किशोर द्वारा आत्महत्या करने का पहला मामला भी वर्ष 2015 में रूस में ही सामने आया। इस गेम की चपेट में आकर वहाँ 130 से ज्यादा किशोर आत्महत्या कर चुके हैं और मात्र दो वर्ष के अंदर ही इस गेम का भयावह रूप एक वैश्विक संकट की तरह उभरकर सामने आया है। अब यह गेम दुनियाभर के किशोरों के मन-मस्तिष्क पर किस प्रकार हावी है, इसका पता इसी बात से चलता है कि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, बुल्गारिया, चिली, चीन, जार्जिया, इटली, केन्या, पैराग्वे, पुर्तगाल, सऊदी अरब, सर्बिया, स्पेन, अमेरिका, उरुग्वे और वेनेजुएला, आदि देशों के सैकड़ों किशारों को अपनी चपेट में ले चुका है। भारत में इस गेम से प्रभावित होकर एक 16 वर्षीय किशोर द्वारा आत्महत्या करने का पहला मामला 26 जुलाई, 2017 को तिरुअनन्तपुरम्, केरल में सामने आया। इसके बाद से अब तक एक दर्जन से अधिक किशोरों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आ चुके हैं। जिस प्रकार से इस आत्मघाती गेम से प्रभावित होकर किशोरों द्वारा आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, वह विश्व के मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और शिक्षाविदों के लिए गंभीर चुनौती का विषय है।



वास्तव में सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से देखें तो ब्लू वेल गेम के एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किशोरों को आत्महत्या के लिए उकसाने और आतंकवादी ग्रुपों के सरगनाओं द्वारा युवकों को फिदाईन हमला/लोन वुल्फ हमला कर खुद को बारूद से उड़ा देने के लिए उकसाने में बहुत अधिक समानताएँ हैं। ब्लू वेल गेम के एडमिन द्वारा जिस प्रकार, इनके चंगुल में फँसे, किशोरों को 50 दिन में 50 टॉस्क देकर आत्महत्या करने के लिए उकसाया जाता है, ठीक उसी प्रकार आतंकवादी ग्रुप भी 50-60 दिन के प्रशिक्षण के दौरान युवकों के मन-मस्तिष्क पर इतना हावी हो जाते हैं कि युवक फिदाईन हमले में खुद को झोंक देता है।


यहाँ एक बात ध्यान देने की है कि जिस प्रकार बुडेकिन का कहना है कि उसका उद्देश्य ऐसे लोगों को आत्महत्या के लिए उकसा कर, समाज से उनकी सफाई करना है, जिनकी वह कोई अहमियत नहीं समझता; उसी प्रकार आतंकवादी भी युवकों को मज़हब के नाम पर भड़का, गैरमज़हबी लोगों का सफाया करने के लिए, उन्हें फिदाईन हमले में खुद को झोंक देने के लिए उकसाते हैं।


ब्लू वेल गेम का एडमिन किशोरों को 50 दिन की अवधि के दौरान प्रत्येक दिन एक टास्क करने के लिए देता है, इसमें पहले दिन अपने हाथ को रेजर से गोदने और उसकी फोटो एडमिन को भेजना, अगले दिन से तड़के में 4.20 बजे उठकर एडमिन द्वारा भेजी गई मनोविकृतिकारी और डरावनी वीडियो देखना, ऊँची-से-ऊँची जगह पर चढ़ना, छत पर अकेले घूमना, क्रेन के ऊपर चढ़ना, निर्देश के अनुसार दुस्साहसपूर्ण गुप्त कार्य करना, हाथ पर ब्लू ह्वेल को गोदना और अंत में 50वें दिन किसी ऊँची जगह पर चढ़कर नीचे कूदकर आत्महत्या करने के लिए निर्देश देता है। इनमें से प्रत्येक टास्क के द्वारा एडमिन किशोर के मन-मस्तिष्क पर इस तरह हावी हो जाता है कि किशोर 50वें दिन उसके निर्देश के अनुसार कूदकर आत्महत्या कर लेता है।


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