हरियाणवी गीतों में संवेदना के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण

डॉ. मनोज भारत के अथक "प्रयासों से तैयार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति की पड़ताल करता ग्रंथ प्राप्त हुआ। मूलतः आनन्द जी एक सहज, सरल परन्तु विभिन्न आयामोंवाले व्यक्ति हैं। वह पेशे से अध्यापक, मन से चित्रकार-कलाकार तथा समाज के बड़े वर्ग के लिए साहित्यकार, समाजसेवक, सचेतक, प्रेरक, गायक और भी न जाने कितने आयामोंवाले व्यक्ति हैं। हमारा और आनन्द जी का सान्निध्य भी बहुत पुराना है। उनकी रचनाओं तथा अन्य आयामों से भी मैं परिचित हूँ। आनन्द जी जैसे कर्मठ व्यक्तित्व के हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति की खोज करने के डॉ. मनोज भारत के निर्णय की प्रशंसा करता हूँ और उन्हें साधुवाद देता हूँ।


इस ग्रंथ को मूलतः तीन अध्यायों और उप अध्यायों में बाँटा गया है। पहले अध्याय के अन्तर्गत व्यक्तित्व और कृतित्व को लिया गया है। व्यक्तित्व या कृतित्व क्या होता है, विद्वान् लोग उसको कैसे पारिभाषित करते हैं, परिभाषा की दृष्टि से क्या है व्यक्तित्व और कृतित्व, ऐसे सभी सवालों या कहूँ जिज्ञासाओं का निराकरण, मनोज जी ने कुशलता से करने के उपरांत ही आनन्द जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विश्लेषण शास्त्रानुसार, साहित्यिक परिपक्वता से किया है। इस खण्ड में ही आनन्द जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि, जन्म से लेकर आज तक की यात्रा, विवाह, बच्चे, रुचि-अभिरुचि तथा उपलब्धियों पर विस्तृत चर्चा की है।



किसी भी रचनाकार का कृतित्व उसके व्यक्तित्व से अनुप्राणित होता है। आनन्द प्रकाशजी का कृतित्व और व्यक्तित्व उनके साहित्य में दृष्टिगोचर होता है। अक्सर कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है मगर मेरा मानना है कि साहित्य भूतकाल से प्रेरणा लेकर वर्तमान के धरातल पर खड़े होकर भविष्य में झाँककर कालजयी चिन्तन करता होता है। आनन्द आर्टिस्ट जी की रचनाएँ मेरी इस कसौटी पर पूर्ण खरी हैं। आनन्द जी का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत है। वह रचनाकार हैं रेडियो के लिए लेखन, वार्तापकर तथा नाट्य प्रसारण, गीत- संगीत प्रसारण, मंचीय लेखन व प्रस्तुति, फिल्मों के लिए लेखन, आर्टिस्ट, कलाकार, संगीतकार तथा समाजोन्मुख जागृति लेखन के कुशल चितेरे हैं। सम्पूर्ण देश की विभिन्न साहित्यक संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान तथा वरिष्ठ साहित्यकारों का प्रशंसा–पत्र आपकी विशेष उपलब्धि हैं।


विचार करें कि आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के पास वह कौन-सी जादू की छड़ी है जो इन्हें आम से खास और खास से बहुत खास बनाती है? तो एक शब्द में मै कहूँगा ‘संवेदना' । वह संवेदनापक्ष, जिसे डॉ. मनोज भारत की विलक्षण-दृष्टि ने इनके हरियाणवी गीतों में तलाशा, महसूस किया और आत्मसात किया। इतना ही नहीं, अथक प्रयासों से अपने शोध द्वारा तलाशकर प्रकाशित भी कराया।


संवेदना क्या है, कैसी है और कितनी है, इसका विश्लेषण दुष्कर कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति का संवेदना स्तर भी अलग होता है। अनेक विद्वानों ने संवेदना पर विभिन्न मत प्रकट किए हैं जिन्हें मनोज जी ने विस्तार से इस ग्रंथ में संजोया भी है। संवेदना किसी व्यक्ति द्वारा महसूस किए जानेवाली नितान्त व्यक्तिगत स्थिति है। मगर जब किसी रचनाकार की रचनाओं में कोई भाव आम आदमी की आवाज़ बनकर उभरता है, जिससे समाज खुद को जुड़ा महसूस करता है, रचनाओं में मौजूद संवेदना-पक्ष सशक्त होकर समाज को प्रभावित करता है, तब वह रचना तथा रचनाकार कालजयी हो जाते हैं।


डॉ. मनोज भारत ने आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के हरियाणवी गीतों में उस संवेदना-पक्ष को समझा, समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के विचारों को जाना और आर्टिस्ट जी की संवेदना अभिव्यक्ति को पाठकों के सम्मुख लाने का कार्य, कुशलता से किया।


यह ग्रंथ हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति, आनन्द जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को तलाशने तक सीमित नहीं, अपितु जिस गम्भीरता से व्यक्तित्व, कृतित्व, संवेदना, सामाजिक, राजनीतिक सरोकारों को शास्त्रसम्मत व्याख्यायित किया गया है, उससे यह ग्रंथ पठनीय, मननीय व संग्रहणीय बन गया है। इसके प्रकाशन में हरियाणा साहित्य अकादमी, जिसने आर्थिक अनुदान द्वारा इस कार्य को सुगम बनाया और हरियाणा का देश में नाम रोशन कर रहे साहित्यकार के संवेदनात्मक पक्ष को सामने लाने में सहयोग दिया, बहुत बहुत साधुवाद।