पलकों की छाँव में एक डाकिये की प्रेमकथा

पलकों की छाँव में हिंदी सिनेमा में डाकिया (पोस्टमैन) को नायक के रूप में प्रस्तुत करनेवाली एक अच्छी फिल्म है। 1947 में बनी नव सम्पत्ति प्रोडक्शन द्वारा धनवन्त शाह की यह फिल्म, सिनेमा-कला की ऊँचाइयों का दर्शन कराती है। 1977 में ही 'स्वामी', 'अमर-अकबर एंथनी', ‘धरमवीर', 'दुल्हन वही जो पिया मन भाये', 'शतंरज के खिलाड़ी'-जैसी कई फ़िल्में निर्मित हुईं।


'डाकिया' नाम सुनते ही खाकी पोशाकवाले व्यक्ति की एक विशेष छवि उभरती है। डाकिया यानी जाड़ा हो या गरर्मी, वर्षा हो या आँधी, डाकिया ज़रूर आता है और साथ में चिट्ठी भी लाता है। स्वतंत्र भारत के सुदूर पिछड़े गाँव की पृष्ठभूमि और परिवेश में फिल्मकार ने स्त्री और पुरुष के मन की प्रेमविषयक भावनाओं का बड़ी बारीकी से और सुन्दर चित्रण किया है। एक झलक में यह फॉर्मूला पर आधारित फिल्म लगती है। फ़िल्म में एक पगली बूढ़ी है जो कई वर्षों से अपने पुत्र के आने की प्रतीक्षा करती है। इसके समानान्तर नायिका मोहिनी (हेमा मालिनी) भी अपने गोपनीय फौजी पति के आने का बेसब्री से इंतजार करती है। दुर्भाग्यवश दोनों मृत हो चुके हैं। इसकी सूचना नहीं मिलने के कारण वृद्धा और नायिका प्रतीक्षारत रहती हैं।



फिल्म में कथा का विकास मजबूती से किया गया है। एक विधवा माँ का बेरोजगार युवा पुत्र रविराज (राजेश खन्ना) अपने पिता के पेंशन की राशि प्राप्त करने कार्यालय जाकर आवेदन करता है। मनोरंजक ढंग से उसकी डाकिये के पद पर नियुक्ति हो जाती है। वह सुदूर गाँव सीतापुर में योगदान करने के लिए भेजा जाता है। बातचीतनुमा इंटरव्यू में वह अपनी बातूनी अदा से अपनी उम्र 21 वर्ष तथा वास्तविक उम्र 24 वर्ष बताता है। वह ट्रेन से उतरकर बाहर आता है। वहाँ से सीतापुर जाने के लिए ताँगा ही एकमात्र सवारी है। शोले फेम अमजद खान ताँगवाले की छोटी भूमिका में है। वह रवि को ताँगे की आगेवाली सीट गाँव के चौधरी का बताकर पीछे की सीट पर भेज देता है। रवि सीतापुर गाँव पहुँचकर डाकघर आता है। वहाँ पोस्ट्मास्टर से मिलकर वह योगदान करता है। रवि डाकिये की पोशाक पहनकर शिव मन्दिर जाकर पूजा करता है। वहाँ नायिका मोहिनी (हेमा मालिनी) भी पूजा कर रही है। रवि पंडितजी को पत्र देता है। सीतापुर में पोस्टमास्टर रवि को रघु के साथ रहने कहता है। उसे डाक-सामग्री वितरण के लिए साइकिल मिली। रघु (असरानी) मज़ाकिया किस्म का व्यक्ति है। वहाँ एक अनाथ बच्चा पार्सल भी रहता है। रवि डाक बाँटने निकलता है। रास्ते में पत्र गिर जाता है। वृद्धा उसे ले लेती है। रवि अपने बेटे के लौटने का इंतजार कर रही वृद्धा का झूठा खत पढ़कर सुनाता है। इस क्रम में वह चालाकी से वृद्धा के पुत्र का नाम रसूला जान जाता है।


डाकिया रवि, चौधरी के घर पत्र देता । चौधरी की बेटी छुटकी (फरीदा जलाल) पत्र लेती है। वह अपनी सहेली मोहिनी के साथ लिफाफा फाड़कर चिट्ठी पड़ती है। लिफाफा कुएँ में गिर जाता है। छुटकी अपने पिता चौधरी को बिन लिफाफे का पत्र देती है। वह इसपर जिज्ञासा करता है। छुटकी की शादी शीघ्र होनेवाली है। उसकी माँ कहती है कि शादी होने को आई, बचपना नहीं गया।


गाँव में वर्षा होने के लिए एक फकीर गीत गाता है- अल्लाह मेघ दे, रवि भी गाता है, मोहिनी भी गाती है तथा गाँव के अन्य लोग भी गाते हैं। गाँव में कुएँ की पूजा का दृश्य, कुम्हार द्वारा चाक पर मिट्टी के बर्तन तैयार करना-जैसे दृश्यों का बारीकी से फिल्मांकन किया गया है। डाकिया रवि एक महिला के यहाँ विधवा-पेंशन देने पहुँचा है। महिला सिन्दूर लगाए हुए है। वह मनीऑर्डर के पैसे देकर निशान लगवाता है। वह उसे अंग्रेजी में बोलते देखकर आश्चर्यचकित है।


रवि पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर चिट्ठियाँ छाँटता है, फिर बाँटता है। मोहिनी का घर सामने है। दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता है। दोनों के सम्बन्ध को लेकर गाँव में चौधरी और ताँगेवाले के द्वारा चर्चाएँ की जाती हैं। ताकि लोग भड़क जाएँ। अंग्रेजी बोलनेवाली स्त्री फौजियों के लिए कोष में चंदा भेजती है। गाँव में मनोरंजन का साधन थियेटर है। फ़िल्म में नृत्य-गान का दृश्य है। सुप्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा ने नर्तकी की विशेष भूमिका की है। मनोरंजन के नाम पर ग्रामीण उल्लास में सीटियाँ बजाते हैं और नाचते हैं। रघु भी मंच पर चढ़कर नाचता है। बच्चा पार्सल भी नीचे नाचता है। नृत्य के साथ हारमोनियम और ढोलक का प्रयोग दिखाया गया है।


नायिका मोहिनी डाकिया रवि की प्रतीक्षा करती है। मोहिनी उसका स्वेटर का नाप लेती है। रवि के मन में प्रेम-भाव का संचार तेजी से होता है। उसे भम्र होता हैकि मोहिनी उससे प्रेम करती है। स्वेटर बनाते हुए मोहिनी की माँ पूछती है कि यह किसके लिए बुन रही हो। वह झूठा जवाब देती है- छुटकी के दुल्हे के लिए। मोहिनी रवि को स्वेटर पहनने को देती है। एक पत्र भी पढ़ने को देती है। वह अपनी प्रेमकथा सुनाती है। (अभिनेता जितेन्द्र) फौजी से उसकी गोपनीय शादी हुई। वह युद्ध में भाग लेने गये। उसकी प्रतीक्षा हो रही है।


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