अशोक सिंहल जी के आदर्श कई पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे : एम. वैंकेया नायडू

भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू ने गत 7 दिसंबर को नयी दिल्ली में स्व, अशोक सिंहल पर लिखी पुस्तक का विमोचन किया। अशोक सिंघल : स्टॉन्च एंड पर्सविरेन्ट ऐक्सपोनेन्ट ऑफ़ हिंदुत्व' शीर्षकवाली इस अंग्रेजी पुस्तक को कारोबारी व सामाजिक कार्यकर्ता श्री महेश भागचन्दका ने लिखा है। भारतमाता मन्दिर, हरिद्वार के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश ( भैया जी) जोशी इस अवसर पर उपस्थित श्री अशोक सिंहल को हिंदुत्व थे।



श्री महेश श्री अशोक सिंहल को हिंदुत्व के उत्कृष्ट उन्नायकों में से एक बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि उनके 75 वर्षों के बलिदान भावी पीढ़ियों का कल्याण करेंगे। उन्होंने कहा कि “ज्ञान, विज्ञान और अभियांत्रिकी के छात्र अशोक प्रयोगशाला से ज्यादा एकांत में गंगा किनारे चिन्तन करते थे। धर्म, समाज और संस्कृति की चिन्ता करते थे।'' स्वतंत्रतासंग्राम में श्री सिंहल जी के योगदान का स्मरण करते हुए श्री नायडू ने बताया, “किशोर अशोक चाहते थे कि मुस्लिम समाज के लोग भी ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में असहयोग आंदोलन में भाग लें। काँग्रेस के कुछ लोगों के जोर देने के बावजूद उन्होंने आजादी के आंदोलन से जुड़ने के लिए गाँधी की काँग्रेस को नहीं बल्कि डॉ. हेडगेवार के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को वरीयता दी। अपना सम्पूर्ण जीवन संघकार्य के लिए समर्पित करनेवाले महान् व्यक्ति अशोक जी हैं।''


भागचन्दका ने कहा, “श्री सिंहल एक अनुकरणीय व्यक्ति थे जिन्होंने स्वयं को निःस्वार्थ भाव से स्वयं को एक प्रचारक के रूप में समर्पित किया और 6 दशकों से भी अधिक समय तक समाज की सेवा की। मेरी पुस्तक में भारत में हिंदुत्व के सबसे बड़े नेताओं में से एक श्री अशोक सिंहल जी के जीवन, दर्शन, दूरदर्शिता एवं विचारों का विशद वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में वह सब दर्ज किया गया है जिसके लिए वह पहचाने जाते थे- विश्व हिंदू परिषद् एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनका जीवन व उनकी सोच; हिंदुत्व की शिक्षा, सुधार, रक्षा एवं वृद्धि के लिए किया गया उनका कार्य आदि।''


 


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