हर्निया या आत्र-वृद्धि

हमारे शरीर को रचना बहुत ही विज्ञानमय है। सारा शरीर हड़ियों के ढाँचे में सधा है तथा सभी अंगों की सुरक्षा त्वचा के आवरण से होती है। हमारी छोटी आँत तथा बड़ी आँत भी त्वचा से ढकी रहती है। त्वचा में मुख्य दो परतें होती हैं- अन्दरूनी तथा बाहरी। बाहरी त्वचा अधिक मजबूत होती है। हर्निया रोग त्वचा से सम्बन्धित रोग है। जब अन्दर की आँखें त्वचा के अन्दरूनी भाग को पार करके बाहर निकलती हैं, तब दर्द होता है। आन्त्र के बाहर निकलने को आन्त्र-वृद्धि कहते हैं।



हर्निया के प्रकार


फेमोरल हर्निया (जांघ के ऊपरी भाग में होता है) औरतों को होता है।


हियाटल हर्निया (पेट के ऊपरी भाग में होता है)


इन्सीजनल हर्निया (यह पेट के किसी ऑपरेशन के कारण होता है।)


इंग्वाईनल हर्निया (पुरुषों को होता है)


अम्वीलिकल हर्निया (पेट की अन्दरूनी दीवार कमजोर होने से)


एपीगेष्टिक हर्निया


डाइफ्रेगमेटिक हर्निया


लक्षण


पेट के निचले हिस्से एक उभार-सा दिखता है तथा दबाने पर दब जाती है। आन्त्र के बाहर निकले पर दर्द होता है। 


हर्निया के कारण


हर्निया होने के कई कारण हैं, जैसेलम्बे समय तक खाँसी रहना, भारी वजन उठाना, पेशाब में रुकावट होना, मोटापा, अधिक कब्ज रहना, पेट की किसी प्रकार की सर्जरी हुई हो, धूम्रपान करना, लम्बे समय तक स्टेरोइड्स आदि दवाइयाँ लेना, महिलाओं को गर्भावस्था में होना, पेट का हाजमा खराब रहना, एसिडिटी रहना, ऊँचाई से कूदना, आदि।


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