अजब- अनोखी कठपुतलियाँ

नाटक का कोई रूप लोगों के इतना समीप नहीं जितना पुतलियों का तमाशा। बच्चे, बूढ़े, जवान- सभी पुतलियों के इस अद्भुत संसार की ओर खिंचे चले आते हैं। हममें से हममें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कठपुतली का तमाशा न देखा हो। गा-बजाकर, नाचकर, मजेदार बातों से कठपुतलियाँ हमारा मनोरंजन करती हैं। लोगों का ध्यान खींचने के लिए, खेल में रुचिकर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए कठपुतली संचार का एक ताकतवर माध्यम है।


कोई संजीदा बात कहनी हो उसके लिए कठपुतली का प्रयोग ठीक नहीं रहेगा। लेकिन सफाई, स्वास्थ्य-संबंधी संदेश देना हो, किसी की गलती बतानी हो, किसी का मज़ाक उड़ाना हो, कोई संदेश दोहराना हो तो कठपतुली का प्रयोग किया जा सकता है। किसी शिक्षाप्रद या अहम् संदेश देनेवाली कहानी को सामने रखने के लिए कठपुतली अच्छा माध्यम है। कठपुतली के तमाशे में ढोलक, संगीत, शोरगुल की खास जगह होती है। इनके बिना कठपुतली का तमाशा अधूरा है और मज़ा भी कम हो जाता है।



तरह-तरह की कठपुतलियाँ ।


लिफाफे की कठपुतली


एक बड़ा मज़बूत लिफाफा लें।


। लिफाफे पर अपनी कहानी के किसी पात्र का चित्र बनाएँ। ध्यान रहे कि लिफाफे का खुला भाग नीचे की तरफ रहे। खुले हिस्से का कुछ भाग गोंद लगाकर चिपका दें ताकि हाथ न फिसले।।


। खुले भाग से हाथ लिफाफे के अंदर डालकर कठपुतली नचायें। । नचाया


। कहानी के किसी भी पात्र का चित्र मोटे कागज़ पर बनाकर काट लें।


इसके पीछे एक लंबी डण्डी लगा दें।


लकड़ी के नीचे का सिरा पकड़ कर कठपुतली को हिलाएँ।


हाथ और डण्डे के निचले भाग को परदे के पीछे रखें।


दस्ताना कठपुतली


दस्ताना कठपुतली के हाथ, सिर व शरीर में लचक होती है। यह अन्य कठपुतलियों से ज्यादा घुमाई, नचाई जा सकती है। यह सबसे ज्यादा आकर्षक होती है।


एक पुराना मोजा लें और उसको एड़ी के हिस्से से काटकर दो टुकड़े कर लें।


पंजे के हिस्से में रूई ढूंसकर भर दें। यह कठपुतली का सिर बन गया।


10x10 से.मी. मोटा कागज़ काटकर उंगली पर लपेटें। पुतली की गर्दन के लिए एक नली बना दें। इसे सिर के निचले हिस्से में गोंद लगाकर पक्का करें। ध्यान रहे कि नली का कुछ हिस्सा सिर के बाहर रहे।


 


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