इमोशनोमिक्स : आध्यात्मिकता का विज्ञान

उपलब्ध यौगिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए सकारात्मक भावनाएँ चेतना के उच्च स्तर को प्राप्त करने में मदद करती हैं। ऐसी ही एक तकनीक है। क्रियायोग। क्रियायोग आपके अंदर उच्च मनोस्थिति उत्पन्न करता है। स्वामी योगेश्वरानन्द गिरि ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘द फंडामेंटल्स एण्ड मिस्ट्री ऑफ क्रिया योग' में दावा किया है कि भगवान् राम, भगवान् कृष्ण, ऋषि वाल्मीकि, महान् सन्त व्यास और वसिष्ठ द्वारा क्रियायोग तकनीक का अभ्यास किया जाता था।



क्रियायोग का विज्ञान आधुनिक भारत में श्यामा चरण लाहिड़ी महाशय (1828- 1895) के साधन के माध्यम से बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गया है। क्रिया का संस्कृत मूल है ‘क्रि' यानि करना, क्रिया और प्रतिक्रिया, यही मूल 'कर्म' शब्द में पाया जाता है, जिसका अर्थ होता है कारण और प्रभाव का प्राकृतिक सिद्धान्त। क्रियायोग इस प्रकार से ‘खास कदम या क्रिया के जरिए ईश्वर के साथ मिलन (योग) है। जो योगी, तकनीक का विश्वास के साथ अभ्यास करता है, वह धीरे-धीरे कर्म या संतुलन के कारण व प्रभाव की विधिवत् श्रृंखला से मुक्त होता जाता है।


क्रियायोग सरल, मन व शारीरिक विधि है जिसके द्वारा मानव का रक्त कार्बनमुक्त और ऑक्सीजन से रीचार्ज होता है। स्वामी परमहंस योगानन्द (1893-1952) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'ऑटोबायोग्रॉफी ऑफ़ योगी' ('एक योगी की आत्मकथा') में दावा किया है कि अतिरिक्त ऑक्सीजन के अणु मस्तिष्क और कुण्डली-केन्द्रों को पुनर्जीवित करने के लिए जीवन-प्रवाह में परिवर्तित हो जाते हैं। यह अत्यधिक प्रशंसनीय किताब मानव-अस्तित्व के परम रहस्यों को ढूँढ़ती है। और हमारे समय के महान् आध्यात्मिक प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक का आकर्षक चित्र प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक का 50 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है और लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनेक विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तक के रूप में इस्तेमाल की जाती है।


भावनाएँ ईश्वर को प्राप्त करने के काम में लाए जानेवाले रणनीतिक साधन हैं। जिस प्रकार प्रभावी उपकरणों का इस्तेतमाल किए बिना पत्थर पर मूर्ति तराशना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है, उसी प्रकार, भक्ति के उपकरण को इस्तेमाल किए बिना हमारे भीतर छुपे असली मनुष्य को बाहर निकालना संभव नहीं है। इमोशनोमिक्स का विज्ञान हमें यह सीखने में मदद करता है कि आध्यायत्मिक व्यक्ति बनने के लिए भावनाओं को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।


भावनाएँ मानसिक स्थितियों की उत्तेजना होती है, इसीलिए विचार मन की एक अवस्था होते हैं। हालांकि विचार और भावना के बीच का अंतर रेजर के किनारे जैसा नज़र आता है, किन्तु इनमें एक समानता है कि विचार और भावना- दोनों मन से उत्पन्न होते हैं। जबकि भावनाएँ सामान्यतया इस संबंध में प्रक्रिया/प्रक्रियाओं के तौर पर पारिभाषित समझी जाती हैं कि विचार भावनाओं को प्रभावित करती हैं और भावनाएँ विचारों को। यदि हम विचारों को मार्ग प्रदान करने में सक्षम रहते हैं, तो हम भावनाओं को अपने वश में ला सकते हैं।


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