शतरंज का जन्मदाता भारत

प्राचीन भारत में क्रीड़ा के विविध प्रकार के साधन थे। एक और जहाँ शारीरिक व्यायाम एवं मनोरंजन के लिए, कुश्ती और मल्लयुद्ध, नियुद्ध-जैसे खेल विकसित किए गए, वहीं पर मानसिक व्यायाम एवं मनोरंजन के लिए भी खेलों का विकास किया गया। चौसर, शतरंज, और साँप-सीढ़ी-जैसे कई खेल ऐसे रहे जो एक जगह न केवल बैठकर खेले जा सकते हैं अपितु इनमें अल्प या अधिक मात्रा में मानसिक व्यायाम भी होता है। ये खेल कई तरह की प्रकृति के बना लिए जाते थे, इनसे मनोरंजन तो होता ही था, साथ में इनका दुरुपयोग भी होता था। ऋग्वेद में उल्लिखित कितव सूक्त द्यूतक्रीड़ा के लिए आया है जिसमें जुआ खेलने की निन्दा की गई है। और कृषि की प्रशंसा। इसलिए इन खेलों की नैतिकता एवं अनैतिकता के विचार से परे जाकर समाज के मनोरंजन पर विचार करना अधिक प्रासंगिक होगा। मनोरंजन समाज की बहुत बड़ी आवश्यकता है और यह वर्तमान समय में तो बहुत बड़ा उद्योग भी बन चुका है जिसमें लाखों लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। जिस समाज में मनोरंजन के साधन कम होते हैं, वह तनावग्रस्त होकर विध्वंसात्मक गतिविधियों में संलग्न हो जाता है यद्यपि इसकी अति भी समाज को कमजोर बनाती है जिसका संकेत आचार्य कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है। प्रस्तुत लेख में भारत में विकसित शतरंज के जैसे ही एक खेल चतुरंग के ऊपर विवेचन किया जा रहा है। शतरंज और चतुरंग में बहुत साम्य है, लेकिन जो सबसे बड़ा अन्तर है, वह यह है कि शतरंज में पासे का प्रयोग नहीं किया जाता, किन्तु चतुरंग में ऐसा होता था। शेष दोनों खेल थोड़े-बहुत अन्तरों के साथ एक जैसे हैं।



वर्तमान में लोकप्रिय शतरंज का खेल चतुरंग का ही एक विकसित रूप है अथवा चतुरंग का एक प्रकार शतरंज रहा है यह कह पाना तो कठिन है तथापि इस विषय में जो सामग्री हमें प्राप्त होती है वह बहुत रोचक है। यद्यपि चतुरंग एवं शतरंज में बहुत सारे साम्य हैं तथापि वैषम्य भी पाया जाता है जिसे निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है।


साम्य


चतुरंग एवं शतरंज- दोनों में हाथी (Elephant), घोड़ा (Horse), नौका (Boat) एवं सैनिक (Pawn) की संख्या 4-4 होती है। चतुरंग में जिसे नौका कहते हैं, वही शतरंज में ऊँट (Camel) के नाम से जाना जाता है एवं सैनिक को चतुरंग में वटिक तथा शतरंज में प्यादा कहा जाता है। दोनों के क्रीड़ा पटल (Game Board) में 64 वर्ग होते हैं।


वैषम्य


चतुरंग में चार पक्ष होते थे- पक्ष, मित्रपक्ष, विपक्ष एवं विपक्ष का मित्रपक्ष। चारों पक्ष के अपने अपने Color होने के कारण चतुरंग के Game Board में चार Color (Red, Green, Yellow & Black) होते थे और गोटियाँ भी इन्हीं चार Color में होती थीं जबकि शतरंज में केवल दो पक्ष होते हैं- पक्ष एवं विपक्ष। अतः उसके Game Board में दो ही Color (Black & White) होते हैं और गोटियाँ भी इन्हीं दो ही Color में होती हैं। चतुरंग में चारों पक्ष गेम बोर्ड की चारों भुजाओं पर स्थित होते हैंजबकि शतरंज में दोनों पक्षों की स्थिति आमने-सामने होती है।


चतुरंग में चार राजा होते हैं जबकि शतरंज में केवल दो ही राजा होते हैं। चतुरंग में दो अतिरिक्त राजाओं के स्थान पर शतरंज में दो मन्त्री/वजीर (Queen) होते हैं। चतुरंग में वजीर नहीं होता है। चतुरंग में गोटियों की चाल पासे के अंक के ऊपर निर्भर करती है। पासा फेंकने पर 5 अंक आने पर राजा एवं सैनिक, 4 अंक आने पर हाथी, 3 अंक आने पर घोड़ा एवं 2 अंक आने पर नौका की चाल होती है


वटिकापञ्चकेराजन्नाजाऽप्येवंहिगच्छति।


तुयेंगजस्तृतीयेचचलत्यश्वोद्वयेतरिः ॥


-चतुरंगदीपिका, 12


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