ग्लोबल शक्ति सर्किट के योजनाकार सुरेशकुमारसिंह

सुरेशकुमार सिंह न केवल भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, वरन् इस रूप में भी कि वह देश- विदेश में फैले 51 शक्तिपीठों को एक सर्किट के अंतर्गत लाने के लिए प्रयत्नशील हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व लखनऊ-प्रवास के दौरान आपके सान्निध्य में कुछ समय व्यतीत करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इनसे मुलाकात का सेतु बने भारतीय भाषा- साहित्य के चूड़ान्त विद्वान् और मेरे अग्रज तुल्य डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय'।



विनम्रता और सादगी की प्रतिमूर्ति आदरणीय सुरेश जी ने तीन दशक से अधिक समय तक उत्तरप्रदेश के विभिन्न अञ्चलों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में विभिन्न पदों पर सेवाएँ दी हैं। सम्प्रति उत्तरप्रदेश सहकारी चीनी मिल्स लि., लखनऊ के प्रबन्ध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। जीवन के साठ वसन्त देख लेने पर लखनऊ में आपका सार्वजनिक अभिनन्दन किया गया। उसी अवसर पर आपके द्वारा सम्पादित ‘शाक्त-उपनिषद्' पुस्तक का भी विमोचन किया गया। उस अवसर का साक्षी बनने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहाँ उनका उद्बोधन सुनने पर वह ज्ञान के समुद्र लगे। उसके तट पर खड़े होकर मैंने उनके ज्ञान के ज्वार को देखा और उस राशि से आप्लावित होकर स्वयं को धन्य महसूस किया।


आदरणीय सुरेश जी की प्रारम्भ से ही प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास; वैदिक, लौकिक और तान्त्रिक संस्कृत-वाङ्मय, विशेषकर शाक्त-परम्परा के ग्रंथों के प्रति विशेष अभिरुचि रही है। इसी अभिरुचि ने उन्हें उक्त विषयों पर विशेषाध्ययन के लिए प्रेरित किया। इसी प्रेरणा से उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्वविभाग से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। गुरुतर प्रशासनिक दायित्वों के बाद भी इन्होंने अध्ययन में बाधा नहीं आने दी। अब तो जीवन का उत्तरार्ध माता जगज्जननी की सारस्वत आराधना में समर्पित कर दिया है।


आपकी दृढ़ मान्यता है कि आसेतुहिमाचल यह सम्पूर्ण भारतवर्ष, भगवती सती का साक्षात् विग्रह है और देश-विदेश में फैले 51 शक्तिपीठ सती के विभिन्न अंग-प्रत्यंग हैं। ये शक्तिपीठ समूचे भूमण्डल को अपने तेज से प्रकाशित कर रहे हैं। न जाने कब और कैसे भगवती ने अपने इन पीठों की यात्रा और उन्हें एकसूत्र में पिरोने की प्रेरणा श्री सुरेशजी को दी। अब तो इस कार्य को श्री सुरेशजी ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। मनसावाचाकर्मणा, जीवन का क्षण-क्षण आपने इस महान कार्य के लिए होम कर दिया है। देश-विदेश में फैले 51 शक्तिपीठों को एकसूत्र (शक्तिपथ) में पिरोने का वैश्विक अभियान ‘ए मिशन फॉर ग्लोबल शक्ति सर्किट' आपकी अनूठी परिकल्पना है। इस कल्पना को मूर्त रूप देने के लिए इन्होंने न केवल माँ भारती की प्रदक्षिणा की, वरन् सुदूर वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, ड्यूक, कनाडा, पेरिस, वर्न, नेपाल और श्रीलंका की भी यात्रा करके हजारों लोगों को माँ शक्तिस्वरूपा के विश्वकल्याणकारी स्वरूप से अवगत कराने का महनीय कार्य किया और आज भी कर रहे हैं। जहाँ कहीं भी आपका प्रवास होता है, वहाँ जनसामान्य से वार्ता के दौरान शक्तिपीठों सेजुड़े विषयों को आप प्रमुखता से उठाते हैं। 51 शक्तिपीठों की यात्रा करने की इच्छा व्यक्त करनेवाले श्रद्धालुओं को ये समस्त सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।  


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