कहानी-किस्से आम के

भारतवासियों के लिए आम के पौधे का बहुत महत्त्व हैइसकी पत्तियाँ शुभ मानी जाती हैं तथा औषधि के रूप में प्रयोग होती हैं तो लकड़ियाँ विभिन्न प्रकार के फर्नीचर तथा हवन-पूजन जैसे कार्यों में उपयोगी हैं। इसका फल सर्वाधिक पसंद किया जानेवाला भाग है। आम की गुठली भी कई रोगों में औषधि का काम करती है। आम एक ऐसा फल है जो अनेक प्रकार के स्वाद, आकार और रंगों में मिलता हैइसका स्वाद ज्यादातर फलों पर भारी पड़ता है। कहा जाता है कि हिंदी के पुरोधा महावीरप्रसाद द्विवेदी को आम इतना पसंद था कि वह इसके मौसम में केवल दूध और आम के सेवन से ही 2-3 माह का समय व्यतीत कर देते थे। आम के स्वाद पर मुग्ध और इसको मिठाई पर वरीयता देते हुए किसी कवि ने कहा है कि इंसान की बनाई नहीं खाते, हम आम के मौसम में मिठाई नहीं खाते।



भारत में आम फलों का राजा है। इसको ‘देवताओं का प्रिय फल तथा ‘उष्णकटिबंधीय/गर्म देशों का सेब' भी कहा जाता है। उत्पादन के मामले में आम दुनिया की 5 बड़ी फल-प्रजातियों में से एक है। माना जाता है कि आम सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में पैदा हुआ और यहीं से दुनिया के अन्य स्थानों पर गया। भारत की जलवायु आम के लिए मुफ़ीद है। विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत आम भारत में पैदा होता है। वर्ष 2017 में भारत ने विदेशों को लगभग 160 करोड़ रुपए का आम निर्यात किया था। अरब देशों में भारतीय आम की भारी मांग रहती है, इसके अलावा इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया को भी निर्यात होता है। 


दुनियाभर में आम की 700 से अधिक किस्में पाई गई हैं। इनमें से लगभग 350 प्रजातियाँ, वर्तमान में भारत के विभिन्न हिस्सों में उपजती हैं। हालांकि व्यावसायिक खेती के उद्देश्य से 20-25 किस्में ही अधिक उगाई जाती हैं। दशहरी, चौसा, लंगड़ा, तोतापरी, केसर, एल्फांसो, बंगानापल्ली, सफेदा, मल्लिका, मुलगोआ, आम्रपाली और हिमसागर, आम की लोकप्रिय एवं अतिविशिष्ट किस्में मानी जाती हैं। इनके अलावा बंबइया, बादामी, जौहरी, गुलाबखास, नीलम, रसपूरी, इमाम पसंद, राजापुरी, मालदा, सिंदूरी, लक्ष्मीभोग, कृष्णभोग, रूमानी और फजली प्रजातियाँ भी प्रसिद्ध हैं। इन सबके अलावा बारहमासी, अरुणिका, रामकेला और दक्षिण अफ्रीका की सेंसेशन भी आम की अच्छी किस्में मानी जाती हैं। कुछ अन्य प्रजातियाँ भी अक्सर सुनने में आ जाती हैं, जैसे- हाथी-झूल, मक्खन, शरबती, पुखराज, श्यामसुंदर, आदि।


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