धार्मिक पर्यटन सांस्कृतिक विरासत

1. गुजरात के काठियावाड़ में श्रीसोमनाथ, 2. श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, ३. उज्जैन में श्रीमहाकालेश्वर, 4. मध्यप्रदेश में ही ओंकारेश्वर, 5. झारखण्ड में श्रीवैद्यनाथ, 6. महाराष्ट्र में डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमशङ्कर, 7. तमिळनाडू में सेतुबन्ध पर श्रीरामेश्वर, 8. गुजरात दारुकावन में श्रीनागेश्वर, 9. उत्तरप्रदेश के वाराणसी में श्रीविश्वनाथ, 10. नासिक महाराष्ट्र में गौतमी, गोदावरी के तट पर श्रीत्र्यम्बकेश्वर, 11. उत्तराखण्ड हिमालय पर केदारखण्ड में श्रीकेदारनाथ और 12. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में श्रीघुश्मेश्वर नामक भगवान् शंकर के ये स्वरूप विराजित हैं। प्रत्येक हिंदू जीवन में कम-से-कम एक बार इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन को लालायित रहता है। और इस तरह वह शुद्ध धार्मिक मनोभाव से जीवनकाल में कभी-न-कभी इन तीर्थस्थलों का पर्यटन करता है।



इसी तरह 51 शक्तिपीठ भारतभूमि पर यत्र-तत्र फैले हुए हैं। मान्यता है कि जब भगवान् शंकर को यज्ञ में निमन्त्रित न करने के कारण सती देवी माँ ने यज्ञाग्नि में स्वयं की आहुति दे दी, तब क्रुद्ध भगवान् शंकर उनके शरीर को लेकर घूमने लगे और सती माँ के शरीर के विभिन्न हिस्से भारतीय उपमहाद्वीप पर जिन स्थानों पर गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई। प्रत्येक स्थान पर भगवान् शंकर के भैरव स्वरूप की भी स्थापना है। शक्ति का अर्थ माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती है तथा भैरव का मतलब शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के स्वांगी है। ये स्थान हैं- 1. किरीट शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है। यहाँ सती माता का किरीट यानी शिरोभूषण या मुकुट गिरा था। यहाँ की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। 2. कात्यायनी शक्तिपीठ, यह वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है। यहाँ सती का केशपाश गिरा था। यहाँ की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है। 3. करवीर शक्तिपीठ, यह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। यहाँ माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहाँ की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधीश हैं। यहाँ महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है। 4. श्रीपर्वत शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है। कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहाँ माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहाँ की शक्ति श्रीसुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं। 5. विशालाक्षी शक्तिपीठ, यह वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है। यहाँ माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहाँ की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव कालभैरव हैं। 6. गोदावरी तट शक्तिपीठ, आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का वामगण्ड यानी बायाँ कपोल गिरा था। यहाँ की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। 7. शचीन्द्रम् शक्तिपीठ, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम-स्थल पर स्थित है। यहाँ सती के ऊर्वदन्त, मतान्तर से पृष्ठ भाग, गिरे थे। यहाँ की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।


8.पचसागर शक्तिपीठ, इसका कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है, लेकिन यहाँ माता के नीचे के दन्त गिरे थे। यहाँ की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। 9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ, यह हिमाचलप्रदेश के काँगड़ा में स्थित है। यहाँ सती की जिह्वा गिरी थी। यहाँ की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। 10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्यप्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहाँ माता का ऊर्ध्व ओष्ठ गिरा है। यहाँ की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लम्बकर्ण हैं। 11. अट्टहास शक्तिपीठ, यह पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। यहाँ माता का अधरोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहाँ की शक्ति फुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं। 12. जनस्थान शक्तिपीठ, यह महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है, यहाँ माता की ठुड्डी गिरी थी। यहाँ की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं। 13. काश्मीर शक्तिपीठ, जम्मू-काश्मीर के अमरनाथ में स्थित है। यहाँ माता का कण्ठ गिरा था। यहाँ की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं। 14. नन्दीपुर शक्तिपीठ, यह पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है। यहाँ देवी का कण्ठहार गिरा था। यहाँ की शक्ति नन्दनी और भैरव नन्दकेश्वर हैं। 15. श्रीशैल शक्तिपीठ, यह आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है जहाँ माता की ग्रीवा गिरी था। यहाँ की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथवा ईश्वरानन्द हैं। 16. नलहटी शक्तिपीठ, यह पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है, जहाँ माता की उदरनली गिरी थी। यहाँ की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं। 17. मिथिला शक्तिपीठ, इसके निश्चित स्थान को लेकर मतान्तर है। तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल का जनकपुर, बिहार का समस्तीपुर और सहरसा, जहाँ माता का वाम स्कन्ध गिरा था।


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