विश्व मे पर्यटन अतीत से आज तक

पर्यटन का विकास 3000 वर्ष पूर्व र्यटन का विकास 3000 वर्ष पूर्व चक्के के आविष्कार एवं मुद्रा के चक्के के आविष्कार एवं मुद्रा के चलन के कारण सम्भव हुआ थाविश्व के इतिहास में ये घटनाएँ सर्वप्रथम सुमेरिया में घटित हुईं। इसी काल में समुद्री जहाज का अन्वेषण, पर्यटन विकास के जहाज का अन्वेषण, पर्यटन-विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। जलमार्ग से व्यापारी विदेशों की यात्रा करने लगे थे। सही अर्थों में ये ही विश्व के प्रारम्भिक पर्यटक माने जा सकते हैं।



अब जबकि यातायात के साधनों का विकास हो रहा था तब मनुष्य अपनी जिज्ञासा को संकुचित न रख सका और सृष्टि की असीम सम्पदा के अवलोकन तथा ज्ञानप्राप्ति के लिए उत्सुक होने लगा; क्योंकि इससे उसको असीम सुख और शान्ति की अनुभूति होती थी।


प्राचीन काल में विश्व के सम्पूर्ण साहित्य में भी पर्यटकों और पर्यटकजनित व्यापारों के सन्दर्भ में विवरण प्राप्त होता है। बायबल में यात्रा की महिमा का बखान इन शब्दों में किया गया है, वह व्यक्ति जिसने यात्राएँ की हों, उसे अनेक विषयों एवं वस्तुओं का ज्ञान होता है। उसका अनुभव विस्तृत होने के साथ-साथ वह विवेकशील और बुद्धिमान भी होता है। जिस व्यक्ति को इस प्रकार का अनुभव प्राप्त नहीं होता, उसका ज्ञान सीमित होता है। पर देश-विदेश का यात्राओं से सम्पन्न व्यक्ति दूरदर्शी होता है।'


न केवल बायबल, अपितु ओडेसी में भी प्राचीन यूनानियों की यात्रा का उल्लेख मिलता है। परन्तु प्राचीन काल में पर्यटन, उद्योग के रूप में विकसित नहीं किया जा सकता था; क्योंकि इस समय बाहरी पर्यटकों की संख्या नगण्य थी और उनके आवागमन को उद्योग के रूप में सम्मिलित नहीं किया जा सकता था।


ईसा से तीन सहस्र वर्ष पूर्व मिस्र विश्व के अन्य देशों द्वारा पर्यटन के रूप में जाना जाता था; क्योंकि वहाँ विश्व के विभिन्न देशों के पर्यटक पहुँचते थे। यह उस समय एक सबसे पुरातन सभ्य देश होने के कारण अत्यन्त आकर्षक था। लगभग इसी समय बेबीलोन के शासक शुल्गी ने अपने राज्य में सड़कें बनवायीं, उद्यान लगवाये तथा यात्रियों के लिए विश्राम-गृह की व्यवस्था की।


यूनानियों ने भी छोटी-छोटी नावों से यात्राएँ आरम्भ कीं। ये त्योहारों, वादविवादों तथा समारोहों में भाग लेने के लिए दूर-दूर तक जाते थे। वास्तव में प्रथम वास्तविक यात्री फिनिशियनवासी थे, जो व्यापारी के रूप में भ्रमण किया करते थे। यूनान के निवासी हेरोडोटस ने, जिन्हें ‘इतिहास का जनक' माना जाता है, ने न केवल यूनान, फिनिशिया, मिस्र तथा कृष्णसागरीय देशों का यात्राएँ कीं वरन् वहाँ के निवासियों का इतिहास, रीति-रिवाजों और परम्पराओं आदि का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है। रोम साम्राज्य के अपने विकास के प्रारम्भिक दौर में ही उस देश के वासियों ने पर्यटन को आगे बढ़ाया। पर्यटकों की श्रेणी में प्रथम वे लोग थे जो विनोद के लिए यात्राएँ करते थे। उन्होंने अपने राज्य में प्रत्येक पाँच-छह मील पर विश्राम-गृह का निर्माण कराया था, जहाँ पर घोड़े की व्यवस्था भी थी। यात्रा के दौरान यात्री एक मुकाम से दूसरे मुकाम पर पहुँचकर अपना घोड़ा छोड़ देते थे और दूसरे घोड़े के माध्यम से आगे बढ़ते थे। इनके पर्यटन का उद्देश्य भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में स्थित देवालयों के दर्शन, मिस्र के पिरामिडों अवलोकन, स्मारक देखना, समुद्रतटवर्ती रम्य स्थानों की यात्राएँ एवं स्पा (सखनिज झरने/औषधि स्नान) का आनन्द लेनाआदि था।


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