जब वल्लभभाई के नाम पर रखा गया मेवाड़ के एक गाँव का नाम...


मेवाड़ यानी उदयपुर, चित्तौड़, प्रतापगढ़, राजसमन्द और भिलवाड़ा- इनको मिलाकर जो मेवाड़ इलाका है, वह सरदार पटेल से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। आजादी के बाद लोगों ने मिलकर एक प्रस्ताव जारी किया कि एक गाँव का नाम सरदार पटेल के नाम किया जाय। यहाँ एक ऊँटाला नामक पुराना गाँव था, उसका नाम वल्लभनगर किया गया। यह बिल्कुल उसी तरीके से हुआ जैसे वल्लभ विद्यानगर, जो गुजरात में है। बिलकुल वैसे ही एक नाम और संयोग से वे भी उसे कभी वल्लभ विद्यानगर के बजाय वल्लभनगर ही कहते हैं और हम भी इसे वल्लभनगर ही कहते हैं। यह ऊँटाला गाँव पूरे मेवाड़ में बड़ा महत्त्वपूर्ण इसलिए था कि यहाँ एक एक समय चेचक के प्रकोप से लोग बड़े भयाक्रांत थे, वे वल्लभनगर की शीतला देवी को पूजते थे। गाँव के नाम पर शीतला माता को पूरे मेवाड़ में हम लोग ऊँटाला माता' के नाम से जानते हैं। उटाला यानि उष्ट्रशाला। जहाँ पर ऊँटों की सेना रहती थी- राणा जी की भी और मुगलों की भी, तो उस गाँव का नाम ही बाद में ऊँटाला कर दिया। उसी प्रकार जिस सरदार पटेल ने अंग्रेजों से हमें मुक्ति दी और बल्कि बाद में भी जिस सुदृढ़ भारत के निर्माण में योगदान दिया, ऐसे सभी बाधाओं को मुक्त करनेवाले सरदार पटेल के नाम पर ऊँटाला गाँव का नाम वल्लभनगर कर दिया। यह वही गाँव है। जहाँ पर लोगों ने अपने सर कटाकर के हरावल में रहने का प्रमाण दिया। राणा की सेना में आगे कौन रहेगाचूंडावत और शकटावतों के बीच में जो संघर्ष हुआ था, उसका प्रमाण इसी धरती पर दिया गया था। कर्नल जेम्स टॉड ने यहाँ के किले का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है। अब उस गाँव को ऊँटाला नाम से कोई नहीं जानता और 60 के दशक में उस गाँव का नाम बाकायदा गजट नोटिफेकेशन होकर वल्लभनगर हो गया, आज यह स्थान तहतील मुख्यालय है। यह विधानसभा क्षेत्र भी है और वर्तमान में रणबीर सिंह भिंडर यहाँ विधायक हैं। यहाँ सरदार पटेल की मूर्ति भी लगी हुई है।