अद्भुत

सात वर्ष का नंदिश बहुत चंचल और |बातूनी है। अपने माँ-पापा की आँखों का तारा अक्सर अपनी डायरी में स्कूल से अपनी शिकायत लेकर आता है। डायरी में टीचर द्वारा लिखा नोट, ‘‘नंदिश तेज बुद्धिवाला होशियार विद्यार्थी है फिर भी क्लास में पढ़ाई के वक्त उसका ध्यान कहीं और चला जाता है। वह विषय से हटकर किसी अन्य विषय पर बातें करने लगता है जिससे क्लास में शिक्षा के माहौल में बाधा उत्पन्न होती हैकृपया नंदिश से बात कर उसे समझायें।''


नंदिश के नाना जिन्हें उम्र के साथ कम सुनाई देता है नंदिश के बारे में अगल राय रखते हैं और नंदिश के माँ-पापा को धीरज रखने की सलाह देते हैं।


नंदिश की एक खोजी मौसी है जो अमेरिका में रहती है जिसे प्रश्न पूछने और खोजने के अलावा दुनिया में और कोई काम नहीं है। उसका और नंदिश का रिश्ता गोपी और कृष्ण जैसा है।


महाशिवरात्रि की सुबह नदिश की मौसी का फोन आता है, वह नंदिश से कुछ मदद दिद चाहती है। “हाँ, बोलो मौसी ! क्या चाहिये?''


“हाँ, बोलो मौसी ! क्या चाहिये?''


“नंदिश, मेरे कुछ प्रश्न हैं तुम्हारे नाना जो मेरे बाबा हैं उनसे पूछना है? वो सुन नहीं सकते हैं प्लीज तुम उनसे प्रश्न पूछकर उत्तर लेकर आओगे मेरे लिए?''


“अच्छा, वो आपके बाबा! मुझे तो प्रश्न पता ही नहीं हैं फिर उत्तर कैसे लाऊँ?'' तपाक नंदिश का जवाब आया।


“अच्छा, अभी प्रश्न बताती हैं यदि आपको उत्तर पता हों तो आप भी मुझे उत्तर बता सकते हैं'' मौसी (गोपी) नंदिश (कृष्ण) की चपलता का रस ले रही है।


“ठीक है पता होगा तो बता दूंगा।''


‘‘मेरा पहला प्रश्न है जो बाबा से पूछना है, ‘‘शिव क्या है?''


‘‘शिव भगवान् है। मुझे पता है। दूसरा प्रश्न क्या है?''


“मेरा दूसरा प्रश्न है, “मानव क्या है?''‘मानव? मानव एक प्रजाति है। इसका


‘मानव? मानव एक प्रजाति है। इसका उत्तर भी मुझे पता है। तीसरा प्रश्न क्या है?'' नंदिश के शब्दों में जोर और विश्वास है। ‘‘मानव का शिव के प्रति क्या कर्म होना चाहिये? समझ में आया मेरा प्रश्न?'' “हाँ, समझ में आया। धर्म होना चाहिये।'' तपाक से नंदिश ने उत्तर दिया। ‘‘क्या धर्म होना चाहिए?'' मौसी ने हँसी दबाने का प्रयास कर पूछा। ‘‘हाँ, धर्म होना चाहिए। मैं सोचता हूँ आपको कैसे समझाऊँ? एक मिनट सोच लिया। हमें कभी बेईमानी नहीं करनी चाहिये और हमेशा भगवान् का साथ देना चाहिये।'' सोचते-सोचते नंदिश का जवाब आता है। “मतलब?'' मौसी को नंदिश की बातों में रस आने लगा।


“मतलब हमें वही करना चाहिये जो भगवान् को अच्छा लगता है। बुरा काम नहीं करना चाहिये। ठीक है। अब फोन रखता हूँ'' खोजी मौसी अब गदगद थीं कितनी आसानी से असाधारण प्रश्नों के सहज सादगी भरे असाधारण उत्तर दिए हैं। मौसी ने अपनी डायरी में लिखा


शिव क्या है?


शिव भगवान् है। शिव ही परम शक्ति है, सृष्टि के रचयिता और पालनहार हैं। सर्वोपरि हैं


मानव क्या है?


मानव एक प्रजाति हैअन्य सभी प्रजातियों की तरह मानव भी सृष्टि में एक प्रजाति ही है शिव की नजर में लेकिन मानव अपने को श्रेष्ठ समझकर घमंड में चूर है।


मानव का शिव के प्रति क्या कर्म होना चाहिये?


मानव का कर्म धर्म होना चाहिये। धर्म जो मानव धारण कर सके मानवता के लिए। बुरे कर्म और बुराई नहीं करनी चाहिये । सङ्कर्म ऐसे जिनमें शिव खुश हों जो शिव को रास आयें। जो भी कर्म करो सोचो शिव के लिए कर रहे हो, उन्हें समर्पित करो। खोजी मौसी जानती है नंदिश अद्भुत बालक है और उसके नाना को भी इसका आभास है जो स्वयं एक विद्वान् हैं।