ये जीवन ढलता जाता है
कुछ भूली बिसरी यादें हैं, कुछ टूटे फूटे वादे हैं
हमको सिखलाता जाता है,
ये जीवन ढ़लता जाता है।
प्यारा-प्यारा एक बचपन था, एक जिम्मेदार जवानी है
कुछ उम्मीदों के सब्जबाग, कुछ सपनों की वीरानी है
गिर-गिर कर रोज सम्हलना है, फिर जुड़ना और बिखरना है
पल-पल बिखराता जाता है, ये जीवन ढुलता जाता है...
कुछ अहसासों के मंजर हैं, कुछ तकलीफों के खंजर हैं।
कभी अहसान परायों के, कभी अपनों में ही अंतर है
कहीं भर देता झोली पूरी, कहीं रह जाती ख्वाहिशें अधूरी
चंद्रकला सा घटता-बढ़ता जाता है, ये जीवन ढ़लता जाता है...
मेरे अहसास न जाने कोई, मन की थाह जा जाने कोई,
बिखरन में भी प्रेम कहीं, कहीं प्रेम में उलझन है कोई
कहीं महफिलों के दौर सुहाने, कहीं मौत भी रोये विराने में
वक़्त गुजरता जाता है, ये जीवन ढ़लता जाता है...
बरसातों से हैरान है कोई, अश्क भी सूखे किसी नैनो के
जिससे जुड़े दिल के तार, वहीं न समझे मन की थाह
कहीं सुगंध को तरस गए, कहीं दे देता केसर कस्तूरी
तड़पन में भी मुस्काता जाता है, ये जीवन ढ़लता जाता है...