सेहत के लिए सूर्योदय से पूर्व...

हमारी प्राचीन परम्पराओं में सुबह उठने का समय भी तय किया गया है यह है'ब्रह्म मुहूर्त', यानि कि रात्रि का अंतिम प्रहर या सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का समय। सुबह जल्दी उठना हमारे लिए किसी खुराक से कम नहीं है, ये आदत जीवन में आई हर स्वास्थ्य समस्या का अंत सकारात्मक रूप से करेगी। जल्दी उठने की आदत डालेंगे से इम्यून सिस्टम मजबूत होगा, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप बीमार नहीं पड़ेंगे। वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हो चुका है कि जल्दी उठना दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद है।


बदलती जीवनशैली में हम देर से सोने और देर से जागने को आधुनिक जीवनशैली का हिस्सा मानने लगे हैं, परन्तु हमेशा से ही अच्छी सेहत पाने के लिए रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी जागने की बात कही गई है। देर से सोना और देर से उठना दोनों ही आदतें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यही कारण है कि हमारी प्राचीन परम्पराओं में सुबह उठने का समय भी तय किया गया हैयह है 'ब्रह्म मुहूर्त', यानि कि रात्रि का अंतिम प्रहर या सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का समय। सुबह जल्दी उठना हमारे लिए किसी खुराक से कम नहीं है, ये आदत जीवन में आई हर स्वास्थ्य समस्या का अंत सकारात्मक रूप से करेगी। जल्दी उठने की आदत डालेंगे से इम्यून सिस्टम मजबूत होगा, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप बीमार नहीं पड़ेंगे। वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हो चुका हैकि जल्दी उठना दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद है इससे दिमाग की कोशिकाएँ सक्रिय रहती हैं जिससे दिमाग तेज होता हैंऔर याददाश्त अच्छी बनी रहती हैं। हमारे शास्त्रों में भी ब्रह्म मुहूर्त में जागने को ही सही बताया गया है, तभी तो प्राचीन काल काल में ब्रह्म मुहूर्त में गुरुओं द्वारा अपने शिष्यों को वेदों एवं शास्त्रों का अध्ययन करवाया जाता था। संसार के प्रसिद्ध साधक, बड़े- बड़े विद्वान और दीर्घजीवी मनुष्य सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ही दैनिक कार्यों की शुरूआत करते थे। ऋग्वेद में कहा गया हैं कि जो मनुष्य सुबह उठता हैं, उसकी आयु लंबी होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में तम एवं रजो गुण की मात्रा बहुत कम होती हैं तथा इस समय सत्वगुण का प्रभाव अधिक होता हैं इसलिए इस काल में बुरे मानसिक विचार भी सात्विक और शांत हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय में बहने वाली वायु चन्द्रमा से प्राप्त अमृत कणों से युक्त होने के कारण हमारे स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य होती है,यह वीरवायु कहलाती हैं। इस समय भ्रमण करने से शरीर में शक्ति का संचार होता है और शरीर कांतियुक्त हो जाता है। हम प्रातः सोकर उठते हैं तो यही अमृतमयी वायु हमारे शरीर को स्पर्श करती हैं। इसके स्पर्श से हमारे शरीर में तेज, बल शक्ति, स्फूर्ति एवं मेधा का संचार होता है जिससे मन प्रसन्न व शांत होता है। इसके विपरीत देर रात तक जागने से और सुबह देर तक सोने से हमें यह लाभकारी वायु प्राप्त नहीं हो पाती जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है।



ब्रह्म मुहूर्त में जागने का वैज्ञानिक सच


अनेक शोधों के अनुसार प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त के समय हमारा वायुमंडल काफी हद तक प्रदूषण रहित होता है। इस समय दिन के मुकाबले वातावरण में प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा भी अधिक होती है। सुबह-सुबह की शुद्ध वायु हमारे तन-मन को स्फूर्ति और ऊर्जा से भर देती है। फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है, जिससे रक्त शुद्ध होता है यही वजह है कि इस समय में की गई सैर एवं व्यायाम, योग व प्राणायाम शरीर को निरोगी रखते हैं। इसके अलावा पक्षियों की चहचाहट से सुबह का माहौल खुशनुमा हो जाता है जिससे हमारा तन-मन प्रफुल्लित होकर तरोताजा हो जाता है।


दिनचर्या होगी ठीक तो मिलेगी सफलता


सुबह जल्दी उठना दिनचर्या का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्योंकि जल्दी उठने से दिन भर के कार्यों और योजनाओं को बनाने का हमें पर्याप्त समय मिल जाता है। न ऑफिस में देर से पहुँचने और न ही बच्चों की स्कूल बस छूटने की समस्या होती है। हर कार्य पूर्व नियोजित ढंग से पूर्ण होता है जिससे दिमाग में कोई तनाव नहीं होता है, अपनी रूचि के कार्यों को करने का भी समय मिल जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में जागने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहकर सुखी और समृद्ध हो सकता है। जल्दी उठकर हम अपनी व्यस्त जीवन शैली में से भी अपने करीबी रिश्तेदार और मित्रों के लिए समय निकाल पाएंगे नतीजा रिश्तों को मजबूती मिलेगी।


जब भी अभिवादन करें तो कुछ इस तरह .....


तरह ..... हमारी सनातन संस्कृति में अभिवादन करने के तरीके विनम्रता, समर्पण और हमारे संस्कारों को दर्शाते हैं। चाहे फिर वह सिर झुका कर, हाथ जोड़कर नमस्कार करना हो या फिर चरण स्पर्श करना। शास्त्रों के अनुसार देवता, गुरु, माता-पिता एवं बुजुर्गों की चरण वंदना को श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम नित्यप्रति सुबह उठकर सबसे पहले माता- पिता के चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे। भगवान गणेश भी देवताओं में प्रथम पूज्य अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही बने। जब कोई हमसे कम उम्र का हमारे पैर छूता है तो उस समय ईश्वर का नाम लेकर हमारे मुख से आशीर्वाद, दुआएँ, सदवचन ही निकलते हैं जिससे पैर छूने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक फल मिलता है, आशीर्वाद देने से चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति की समस्याएँ खत्म होती हैं। यश, कीर्ति व उम्र बढ़ती है और नकारात्मक शक्तिओं से उसकी रक्षा होती है। हमारे द्वारा किए गए शुभ कर्मों का सकारात्मक प्रभाव चरण स्पर्श करने वाले पर होता है। अनेक शोधों से अब यह स्पष्ट हो चुका है कि चरण स्पर्श करने से शारीरिक, मानसिक एवं वैचारिक विकास भी अच्छा होता है। यह एक ऐसी सुदृढ़ परम्परा है जिससे न केवल बड़ों का आशीर्वाद ही मिलता हैअपितु बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर आती हैं।


चरण स्पर्शका वैज्ञानिक मत


जब हम किसी बड़े के पैर छूते हैं तो हम अपने हाथों को उनके पैरों पर रखते हैं। और वो अपना स्नेहल हाथ हमारे सिर पर रखते हैं। इस तरह विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी ऊर्जा हमारे अंदर प्रवाहित होने लगती है। महान् वैज्ञानिक न्यूटन के सिद्धांत के अनुसार सभी वस्तुओं में गुरुत्वाकर्षण होता है। इसमें सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। ये गुरुत्व या चुम्बकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती हैं। शरीर के दक्षिणी ध्रुव मतलब पैरों में यह ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में इकट्ठी हो जाती है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा को ग्रहण करने की प्रक्रिया ही चरण स्पर्श कहलाती है।


ये भी हैं फायदे


चरण स्पर्श व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाता हैयदि आप किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु घर से निकल रहे हैं तो चरण स्पर्श करने से उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है, मन को शान्ति मिलती है। अपने से बड़ों का आशीर्वाद सुरक्षा कवच का कार्य करता है जिससे सोच सकारात्मक हो जाती है। ये सब चीजें पैर छूने वाले व्यक्ति को सफलता के नजदीक ले जाती हैं। चरण स्पर्श करने से अमुक व्यक्ति की शारीरिक कसरत भी होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर या साष्टांग दण्डवत करने से शरीर लचीला होता है। साथ ही आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त का संचार बढ़ता है जो सेहत के लिए फायदेमंद है।


सही तरीका 


पैर छूते समय यदि बाएँ हाथ से बाएँ पैर को और दाएँ हाथ से दाएँ पैर का स्पर्श किया जाए तो सजातीय ऊर्जा का प्रवेश सजातीय अंग से तेजी से पूर्ण होता है। अगर इसके विपरीत किया जाए तो ऊर्जा के प्रवाह में रुकावट उत्पन्न हो जाएगी।