भारतीय एथलीटों ने पहले एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया था और दस स्वर्ण पदक जीतकर पदक तालिका में जापान (20 स्वर्ण) के बाद दूसरा स्थान पाया था, लेकिन इसके बाद सम्पन्न सोलह अन्य एशियाई खेलों में भारतीय एथलीट अपनी पहली सफलता को दोहरा नहीं सके। 1974 में चीन के एशियाई खेलों में पदार्पण के पश्चात भारतीय एथलीटों की सफलता का ग्राफ और अधिक नीचे आने लगा। 1990 बीजिंग और 1994 हीरोशिमा के एशियाई खेलों में तो भारतीय एथलीट एक स्वर्णपदक के लिए भी तरसते रहे।
एशियाई खेलों का शुभारम्भ 1951 में नई दिल्ली में हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में होने वाला यह पहला अंतर्राष्ट्रीय आयोजन था। भारतीय एथलीटों ने पहले एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया था और दस स्वर्ण पदक जीतकर पदक तालिका में जापान (20 स्वर्ण) के बाद दूसरा स्थान पाया था, लेकिन इसके बाद सम्पन्न सोलह अन्य एशियाई खेलों में भारतीय एथलीट अपनी पहली सफलता को दोहरा नहीं सके। 1974 में चीन के एशियाई खेलों में पदार्पण के पश्चात भारतीय एथलीटों की सफलता का ग्राफ और अधिक नीचे आने लगा। 1990 बीजिंग और 1994 हीरोशिमा के एशियाई खेलों में तो भारतीय एथलीट एक स्वर्ण पदक के लिए भी तरसते रहे।
नीचे तालिका-1 में एशियाई खेलों में भारत के पदकों का विवरण दिया गया है -
यह सही है कि भारतीय एथलीट अपनी पहली सफलता को दोबार नहीं छू सके लेकिन अनेक अवसरों पर वे चमत्कारी प्रदर्शन करने में भी सफल रहे हैं। उनके नाम कुछ गर्व करने लायक उपलब्धियाँ भी दर्ज हैं। विवरण निम्नानुसार है -
- एक एशियाई खेल में सर्वाधिक स्वर्ण पदक जीतने का कीर्तिमान पी.टी. ऊषा के नाम है। उन्होंने यह कारनामा 1986 में सियोल खेलों में 4 स्वर्ण पदक जीतकर किया था। पी.टी. ऊषा को ही एक एशियाई खेल में सर्वाधिक पाँच पदक जीतने का भी सम्मान हासिल है। सियोल खेलों में ही उन्होंने चार स्वर्ण पदकों के साथ ही एक रजत पदक भी जीता था।
- एक ही एशियाई खेल में दो स्वर्ण पदक जीतने का गौरव एथलीटों ने सात एथलीटों ने आठ बार अर्जित किया है। ये एथलीट हैं - लेवी पिण्टो (100 मी. व 200 मी., 1951 नई दिल्ली), प्रद्युम्न सिंह (शॉटपट व डिस्कस थ्रो, 1954 मनीला), मिल्खा सिंह (200 मी. व 400मी०, 1958 मनीला तथा 400 मी. व 4x400 मी. रिले, 1962 जकार्ता), हरीचंद (5000 मी. व 10000 मी., 1978 बैंकाक), ज्योतिर्मयी सिकदर (800 मी. व 1500 मी. 1998 बैंकाक), के.एम. बीनामोल (800 मी. व 4x400 मी. रिले 2002 बुसान) तथा अश्विनी अकुनजी 400 मी. बाधा व 4x400 मी. रिले, 2010 ग्वांग्झू)।
- एशियाई खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में सर्वाधिक पदक जीतने का श्रेय पी.टी. ऊषा को प्राप्त है। उन्होंने चार एशियाई खेलों में कुल 11 पदक जीत कर यह कीरिमान स्थापित किया है उनके पदकों का विवरण है - 2 रजत (1982); 4 स्वर्ण व 1 रजत (1986); 3 रजत (1990) तथा 1 रजत (1994)। पी.टी. ऊषा के अतिरिक्त मिल्खा सिंह को भी एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीतने का गौरव हासिल है - 2 स्वर्ण 1958 तथा 2 स्वर्ण 1962।
- दो एथलीटों - प्रद्युम्न सिंह बरार तथा श्री राम सिंह को एशियाई खेलों में पाँच पदक जीतने का श्रेय हासिल है। प्रद्युम्न सिंह बरार ने 1954 (2 स्वर्ण), 1958 (1 स्वर्ण व 1 काँस्य) तथा 1962 (1 रजत) में पदक जीत कर यह कीर्तिमान रचा था जबकि श्री राम सिंह ने यह कामयाबी 1970 (1 रजत), 1974 (1 स्वर्ण व 1 रजत) तथा 1978 (1 स्वर्ण व 1 रजत) के एशियाई खेलों में अपने नाम की।
- पाँच एथलीटों को दो लगातार एशियाई खेलों में एक ही स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने का सम्मान प्राप्त है। ये खिलाड़ी हैं - प्रद्युम्न सिंह बरार (शॉटपट 1954 व 1958), मिल्खा सिंह (400मी0 1958 व 1962), प्रवीण कुमार (डिस्कस थ्रो 1966 व 1970), श्री राम सिंह (800 मी. 1974 व 1978) तथा बहादुर सिंह चौहान (शॉटपट 1978 व 1982)।
- 1974 तेहरान एशियाई खेलों में चार भारतीय एथलीटों ने स्वर्णिम सफलताएँ पाई थी और उन चारों ने नए कीतिमान बनाकर इतिहास रचा था। ये एथलीट थे - श्रीराम सिंह (800 मी. 1 मि. 47.57 से.), शिवनाथ सिंह (5000 मी., 14 मि. 20.50 से.), टीसी योहानन (लम्बी कूद, 8.07 मी.) एवं विजय सिंह चौहान (डिकेथलन, 7375 अंक)
- तीन स्पर्धाओं के एशियाई खेल कीर्तिमान भारतीय एथलीटों के नाम अंकित हैं। मध्यम दूरी की धावक सुनीता रानी के खाते में महिलाओं की 1500 मी. स्पर्धा का कीर्तिमान 2002 के बुसान एशियाई खेलों से अक्षुण्ण बना हुआ है। इन खेलों में उन्होंने 4 मि. 06.03 से. का समय निकाल कर यह कीर्तिमान रचा था। भारतीय महिलाओं के नाम एक और रिकॉर्ड 4x400 मी. रिले स्पर्धा में उमि. 28.68 से. के साथ दर्ज है जिसे प्रियंका पवार, टिंटू लुका, मनदीप कौर और मचेत्तिरा राजू पूवम्मा की चौकड़ी ने 2014 के इंचेओन खेलों में बनाया था। पुरुष वर्ग का एकमात्र कीर्तिमान शॉटपट में तेजिंदर तूर ने गत खेलों (2018 जकार्ता) में 20.75 मी. तक गोला फेंक कर बनाया था।
. एशियाई खेलों के इतिहास में सर्वाधिक पदक जीतने वाले देशों की सूची में 78 स्वर्ण, 89 रजत और 86 कांस्य (कुल 253 पदक) पदकों के साथ भारत का नाम तीसरे स्थान पर है। भारत से आगे केवल जापाना 194 स्वर्ण, 221 रजत, 171 कांस्य, कुल 586 पदक) और चीना (180, 167, 114, कुल 461पदक) ही हैं।
एशियन इंडोर गेम्स
पहले एशियन इंडोर गेम्स 2005 में पट्टाया, थाईलैण्ड में आयोजित किए गए थे। अन्य खेलों की तरह ही एथलेटिक्स मुकाबले भी इंडोर स्टेडियम में खेले गए थे। भारतीय एथलीटों ने इन खेलों में अब तक औसत प्रदर्शन किया है। 2011 में दोहा, कतार में आयोजित होने वाले खेलों को कुछ अपरिहार्य कारणों से निरस्त करना पड़ा। 2013 में चौथे खेल एशियन इंडोर व मार्शल आर्ट्स खेलों के रूप में इंचेओन, द. कोरिया में आयोजित किए गए जिनमें एशियाई देशों के साथ ही ओसिनियाई देशों ने भी भाग लिया लेकिन इन खेलों में एथलेटिक्स मुकाबले नहीं हुए। अगले खेल 2017 में तुर्कमेनिस्तानी शहर अशगाबेत में आयोजित किए गए। नीचे पदक तालिका-2 में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भारत के पदकों का विवरण दिया गया है -
2005 में पहले इंडोर गेम्स में मध्यम दूरी की दो धाविकाओं ने स्वर्णिम युगल बनाकर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था। ओपी जैशा ने 1500 मी. व 3000 मी. दौड़ों में तथा शांति सौंदराजन ने 800 मी. व 4.400 मी. में स्वर्ण पदक जीत कर यह करिश्मा किया था।
यूथ ओलिम्पिक गेम्स
अंतर्राष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति के बैनर तले 14 से 18 साल की उम्र के एथलीटों के लिए पहले यूथ ओलिम्पिक गेम्स का आयोजन 2010 में सिंगापुर में किया गया था। दूसरे यूथ ओलिम्पिक खेलों का आयोजन 2014 में चीनी नगर नानजिंग में हुआ था। भारतीय एथलीटों को इन खेलों से खाली हाथ ही लौटना पड़ा। तीसरे यूथ ओलिम्पिक खेल जो 2018 में ब्यूनस आयर्स में सम्पन्न हुए थे, में भारत एक रजत और एक कांस्य पदक जीतने में सफल रहा। रजत पदक जीतने का सम्मान 5000 मी० स्पर्धा में सूरज पंवार को मिला जबकि कांस्य पदक प्रवीण चित्रावेल (त्रिकूद) के नाम रहा।
विश्व यूनिवर्सियाड खेल
विश्व यूनिवर्सियाड खेल जिनको विश्व स्टूडेण्ट खेल भी कहा जाता है, की शुरूआत 1959 में इटली के तूरिन शहर में हुई थी। 1967 में तोक्यो, जापान में सम्पन्न खेलों में भारत ने पहली बार भाग लिया था। एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला पदक जीतने का सम्मान इंद्रजीत सिंह के नाम दर्ज है। उन्होंने 2013 कजान, रूस में हुए खेलों की शाटपट स्पर्धा में रजत जीता था। उनके ही नाम पहला स्वर्ण पदक जीतने का कीर्तिमान भी अंकित है। यह सफलता उन्होंने दो साल बाद ग्वांगज, द. कोरिया में आयोजित खेलों में पाई थी जब वह 20.27 मी. तक गोला फेंकने में सफल रहे थे। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नेपल्स, इटली में चल रहे 31वें खेलों में स्प्रिंटर दूती चंद ने 100 मी. की फरार्टा दौड़ में स्वर्णिम सफलता हासिल कर कीर्तिमान रचा है। उन्होंने यह फासला 11.32 से. में पूरा किया और स्वर्णिम सफलता पाने वाली पहली भारतीय महिला होने का सम्मान अर्जित किया।
एशियन यूथ गेम्स
एशियाई खेलों की तर्ज पर एशियन यूथ गेम्स की शुरूआत 2009 में सिंगापुर में हुई थी। दूसरे खेल 2013 में नानजिंग, चीन में खेले गए जबकि 2017 में जकार्ता में होने वाले तीसरे खेल अन्यान्य कारणों से सम्पन्न नहीं हो सके। भारतीय एथलीटों ने केवल पहले यूथ खेलों में ही भाग लिया जिनमें 4 स्वर्ण, 2 रजत तथा 2 काँस्य पदकों के साथ भारत का प्रदर्शन संतोषप्रद रहा था।
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