वस्त्र के रंगों का जीवन पर प्रभाव

कपड़ों के पहनने की शैली से मनुष्य व्यक्तिव में निखार आता है। कपड़ों के रंग भी व्यक्ति के विकास पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। उसी प्रकार प्रत्येक वार के ग्रहों के अनुसार रंगों का भी प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। इस लेख में लेखिका ने प्रतिदिन किस रंग के कपड़े पहने चाहिए का वर्णन किया है।



पहली ही झलक में व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से होती है। वस्त्र हमारे तन को ढकने का काम तो करते ही हैं, ये हमारे व्यक्तित्व, व्यवसाय, चरित्र, एवं आत्मविश्वास को भी दर्शाते हैं। आप किसी भी व्यक्ति को उसके कपड़े पहनने के तरीके, कपड़ों के रंग एवं उनकी गुणवत्ता से आसानी से पहचान सकते हैं। आजकल के आधुनिक युग में फैशन के नाम पर कटे-फटे कपड़े पहनना बहुत प्रचलन में हैं, लेकिन इस प्रकार के कपड़े हमारी भारतीय संस्कृति में शुभ नहीं माने जाते क्योंकि ऐसे कपड़े पहनने से शुक्र ग्रह प्रभावित होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार फटे और मैले कपड़े पहनने से व्यक्ति की शारीरिक क्षमता व सकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। ऐसे कपड़े हमारे तन-मन को शिथिल बनाकर कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। साथ ही गंदे और फटे वस्त्र दुर्भाग्य लेकर आते हैं, घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आपकी कुंडली के अच्छे-बुरे ग्रह आपके कपड़ों के रंग से भी प्रभावित होते हैं। सभी ग्रहों की कुदृष्टि से बचने के लिए उनसे सम्बंधित रंगों के कपड़े पहनने ग्रहों के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


रंग हमारी भावनाओं को दर्शाते हैं। हर रंग का जीव के मन और शरीर से बहुत गहरा संबंध होता है, जैसे लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए शक्ति पूजा में अनार, गुड़हल के पुष्प, लाल वस्त्र इत्यादि लाल रंग की वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। ज्योतिषीय आधार पर लाल रंग को देखें तो इस रंग से भूमि, भवन, साहस, पराक्रम के स्वामी मंगल ग्रह भी प्रसन्न रहते हैं। मंगलवार को लाल वस्त्र पहनने से उत्साह और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। यह रंग सौभाग्य की भी निशानी है इसलिए सुहागन स्त्रियाँ शुभ अवसरों पर इस रंग को अधिक पहनती हैं


पीला रंग अहिंसा, प्रेम, आनंद और ज्ञान का प्रतीक है। श्री विष्णु और उनके अवतारों को पीताम्बर धारण करवाने का यह प्रमुख कारण है। यह रंग सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज को तो निखरता ही है, साथ ही पीले वस्त्र धारण करने से देव गुरु वृहस्पति भी प्रसंन होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। नारगी रंग लाल और पीले से मिलकर प्रकट होता है तो इस तरह यह रंग दोनों रंगों का असर भी अपने अंदर समाहित करके चलता है। नारंगी रंग ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक है। जीवन में इसके प्रयोग से मंगल और वृहस्पति दोनों ग्रहों की कृपा तो बनी ही रहती है, साथ ही सूर्यदेव की भी असीम कृपा बरसती है।


सोमवार चन्द्रमा का प्रतीक है। सफेद रंग शांति, पावनता और सादगी को दर्शाता है। इस रंग के प्रयोग से चंद्रमा और शुक्र की कृपा बनी रहती है। मन की एकाग्रता व शांति के लिए यह रंग सर्वोपरि माना गया है।


नीला रंग साफ-सुथरा निष्पापी, पारदर्शी, करुणामय, उच्च विचार होने का सूचक है। नीला रंग श्री विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री महादेव के शरीर का है। नीला रंग विष को पीकर गले में रोक लेने की क्षमता रखने वाले भगवान शिव के गुण और भाव को प्रदर्शित करता है। नीले और काले रंग के प्रयोग से शनिदेव की बराबर कृपा भी बनी रहती है।


हरा रंग, खुशहाली, समृद्धि, उत्कर्ष, प्रेम, दया, पावनता, पारदर्शिता का प्रतीक है। हरे रंग के प्रयोग से बुध ग्रह की कृपा बनी रहती है। इस तरह रंग हमारे जीवन पर चाहे-अनचाहे अपना असर डालते ही हैं। रविवार भी सूर्य का प्रतिक माना जाता है। इसलिए इस दिन लाल, नारंगी और गहरे गुलाबी रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए।


दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने शोध से यह पाया है कि रंग इतने प्रभावशाली हैं कि यह कई बीमारियों की रोकथाम तक में सहायक हैं। तभी तो कलर थेरेपी आज इतनी कारगार सिद्ध हो रही है।