रघुनाथ मन्दिर

जम्मू-काश्मीर राज्य में जम्मू शहर के णमध्य में स्थित 'रघुनाथ मन्दिर' एकल मन्दिर न होकर, वास्तव में सात मन्दिरों का एक समूह है, और आकर्षक कलात्मकता का विशिष्ट उदाहरण है। मुख्य मन्दिर भगवान् राम को समर्पित है और समूह के अन्य मन्दिर रामायणकाल के विभिन्न हिंदू देवी- देवताओं को समर्पित हैं। रघुनाथ मन्दिर में एक दीर्घा में 33 करोड़ देवी-देवताओं के लिंगम (शालिग्राम पत्थर) स्थापित हैं।



समूह के सातों मन्दिरों के आंतरिक भागों में सोना मढ़ा हुआ है। इन मन्दिरों की दीवारें 300 मनोहारी छवियों से सुसज्जित हैं। इनमें से प्रत्येक मन्दिर का शिखर खूबसूरत होने के साथ ही बहुत ऊँचा भी है। सभी मन्दिरों के स्थापत्य में मुगल-शैली का प्रभाव परिलक्षित होता है और यहाँ बने हुए सुन्दर भित्तिचित्र रामायण, महाभारत और गीता की कथाओं को दर्शाते हैं। यहाँ माँ शक्ति को समर्पित एक देवालय है और एक मन्दिर में शिवलिंग स्थापित है। समूह के सभी मन्दिरों में सुबह और शाम- दोनों समय आरती की जाती है। पूरे साल यहाँ मन्दिर में समय-समय पर प्रवचन और पाठ आयोजित होते रहते हैं।


रघुनाथ मन्दिर सन् 1827 (कुछ स्थानों पर सन् 1835 उल्लिखित है) में महाराज गुलाब सिंह द्वारा बनवाया गया था। हालांकि, मन्दिर के निर्माण कार्य का समापन उनके पुत्र महाराज रणजीत सिंह की देखरेख में हुआ। मन्दिर के प्रवेश-द्वार पर हनुमान जी की प्रतिमा के साथ ही महाराज गुलाब सिंह का चित्र भी लगा हुआ है। रघुनाथ मन्दिर के परिसर में एक पुस्तकालय (Raghunath Temple Sanskrit Manuscript Library) भी बना हुआ है, जहाँ संस्कृत की दुर्लभ पाण्डुलिपियों को रखा गया है।


वर्ष 2002 में दो अलग-अलग आतंकवादी हमलों का घटनास्थल होने के बावजूद भी यह मन्दिर बेहद लोकप्रिय है और इस क्षेत्र के सबसे बड़े और सबसे महत्त्वपूर्ण मन्दिरों में गिना जाता है।