घाटियों और मठों की धरती लद्दाख के रंगीन त्योहार

हिमालयी दरों के बीच स्थित लद्दाख की सुन्दर झीलें, आसमान को छूते पहाड़ और आकर्षक मठ हर किसी को अपनी आकर्षित करते हैं। लद्दाख में त्योहारों के दौरान अनूठी तिब्बती संस्कृति, परम्परा और लद्दाखी लोगों के रहन-सहन को बखूबी अनुभव किया जा सकता हैलद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षभर कई समारोह मनाए जाते हैं। लद्दाख की प्राकृतिक सुन्दरता और कई त्योहार पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। प्रस्तुत है लद्दाख के कुछ महत्त्वपूर्ण त्योहारों की संक्षिप्त जानकारी :



हेमिस-महोत्सव


हेमिस, लद्दाख में सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ा उत्सव है। इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण मुखौटा-नृत्य है। जून माह में बौद्ध विहार हेमिस का परिसर हेमिस-महोत्सव से रंगीन हो उठता है। यह त्योहार गुरु पद्मसम्भव को समर्पित है और उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों- दोनों एकसाथ जश्न का आनन्द लेते हैं। लंबे सींगों के साथ मुखौटों से सुशोभित नर्तक, विशेष प्रकार के ढोल के साथ नृत्य करते हैं तो यह दृश्य देखते ही बनता है। इस अवसर पर हस्तकला की कृतियों से भरा हुआ मेला दर्शकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र होता है।


दोसमोचे-महोत्सव


लेह में फरवरी के दूसरे सप्ताह में दोसमोचे- महोत्सव मनाया जाता है। यह लद्दाख के नये समारोहों में से एक है। इस महोत्सव के दौरान हर साल विभिन्न मठों में मुखौटा नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। इस अलावा धार्मिक प्रतीकों को लकड़ी के खंभों पर पताका को सजाकर लेह के बाहर आयोजित किया जाताहै। यह त्योहार दो दिनों तक चलता है जिसमें बौद्ध भिक्षु नृत्य करते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और क्षेत्र से दुर्भाग्य और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए अनुष्ठान करते हैं।


लोसर-महोत्सव


लोसर तिब्बती या लद्दाखी नववर्ष के रूप में मनाया जानेवाला अन्य त्योहार है जो चंद्र कैलेंडर पर आधारित है। लद्दाख में लोसर का त्योहार दिसम्बर और जनवरी के महीने में दो सप्ताह के लिए मनाया जाता है। लोसर त्योहार के दौरान आनेवाले पर्यटक पारम्परिक संगीत और नृत्य का आनन्द लेते हैं। इस अवसर पर पुराने वर्ष की सभी बुराइयों और वैमनस्यों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाता है और नये साल में पूर्णतया नया जीवन आरम्भ करने की कोशिश की जाती है। इस त्योहार की तिथि और स्थान हर साल बदलते रहते हैं।


माथो-नागरंग 


मार्च के प्रथमार्ध में मनाए जानेवाले त्योहार माथो नागरंग के दौरान पवित्र अनुष्ठान और नृत्य प्रदर्शित किए जाते हैं। चार सौ साल पुराने थंगका या सिल्क से बनाई जानेवाली धार्मिक तिब्बती पेंटिंग और इसके साथ जुड़ा त्योहार माथो नागरंग पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। यह त्योहार माथो मठ में मनाया जाता है।


फियांग और थिक्से


फियांग और थिक्से त्योहार लद्दाख में जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान विभिन्न मठों से भिक्षु भगवान् और देवी के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं और अद्भुत मुखौटा-नृत्य प्रदर्शन करने के लिए रंगीन जरी के वस्त्र और मुखौटे पहनते हैं।