हिंदी साहित्य की विधाओं पर डॉ. शोभा जैन अपना शोध ग्रन्थ भेंट करते हुए

०६ सितम्बर को महाकाल की नगरी, संतों की तपों भूमि उज्जैन में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी वरिष्ठ रंगकर्मी साहित्यकार, संस्थापक समन्वयक 'समावर्तन' मासिक पत्रिका, डॉ. प्रभातकुमार कुमार भट्टाचार्य जी (बाबा) से उनके निवास माधवी पर सुनियोजित भेंट करते हुए डॉ. शोभा जैन। इस अवसर पर उनके द्वारा समग्र साहित्य (काव्य, खण्ड काव्य, नाटक, काव्य नाटक, अनुदित साहित्य, उपन्यास, एवं सम्पादन कर्म) पर लिखा ४०० पृष्ठों का 'शोध प्रबंध' उन्हें भेंट किया गया, जिसमें उनके साहित्यिक अवदान को सविस्तार रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। उन पर लिखा यह प्रथम शोध प्रबंध था जिसे पूरा करना किसी बड़े अधूरे कार्य के पूर्णता की अनुभूति थी। इस सम्बन्ध में उनसे कई विषयों पर सार्थक विमर्श हुए, जिसमें उन्होंने बताया कि पहले भी उड़ीसा में उन पर शोध कार्य प्रारंभ किया गया था, किन्तु वह पूरा न हो सका। मेरे द्वारा निर्धारित समय सीमा में सुव्यवस्थित रूप से इसे लिखा सीमा में सुव्यवस्थित रूप से इसे लिखा गया। ८० वर्ष के हो चुके बाबा ने हिंदी साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर अपनी कलम चलाई और आज भी सक्रीय हैं। बाबा अपनी सकारात्मक ऊष्मा और उमंग में आज भी युवा हैं। सरलता में बालवत और आत्मीयता में पारिवारिक संबंधों में उदार। डॉ. जैन द्वारा लिखा उन पर प्रथम शोध प्रबंध उनके साहित्य के अनछुए, पहलुओं और अप्रकट को अभिव्यक्त करने की विनम्र कोशिश रही।