अस्थमा

भारत के शहरों में दमा के रोगी 10-20 प्रतिशत पाए गए हैं। यह श्वसन संस्थान का रोग है। यह रोग छोटे बच्चों तथा जवानों को अधिक होता है। दिल्ली में सर्वे पर पाया गया कि 40 प्रतिशत छोटे बच्चे टैस्ट में फेल पाए गए (TOI)



अस्थमा क्या है?-अस्थमा फफड़ों का रोग है। यह एक प्रकार की एलर्जी का रोग है। अस्थमा में श्वाँस नालिकाओं के छोटे- छोटे छिद्रों में श्लष्मा भरने से श्वाँस नाल । संकीर्ण हो जाती है तथा श्वाँस लेने में तकलीफ होती है। एलर्जी होने से खाँसी, आती है, छाती में खिंचाव महसूस होता है तथा श्वाँसों की लम्बाई कम हो जाती है। अस्थमा में फेफड़े सिकुड़ जाते हैं अतः श्वाँस लेने में दिक्कत होती है।


अस्थमा दो प्रकार का होता है।


1. Extrinsic : यह अस्थमा छोटे बच्चों तथा जवान बच्चों को होता है। यह किसी न किसी प्रकार की एलर्जी के कारण होता है। या वंशानुगत अथवा ऐलोपेथिक दवाओं (beta-antogonists, asprin, nonsteroidal, anti inflammatory) आदि अधिक मात्रा में लेने से होती है।


2. Intrinsic : यह अस्थमा पुराने रोगियों का अस्थमा है। यह अधिक उम्र वालों को लम्बे समय से पीड़ित रहने वाला अस्थमा है। यह अस्थमा की chronic condition होती है। यह एलर्जी अथवा वशानुगत से नहीं होता है। यह तो bronchial infection, chronic bronchitis, strenuous execar, stress or anxiety से होता है।


आयुर्वेदिक तत्थ : आयुर्वेद के अनुसार पाचन प्रणाली, आँतों में गड़बड़ी होने के कारण अस्थमा होता है। इसमें वात पित्त व कफ में विकृति आने से अस्थमा होता है।


वात्तज अस्थमा : वातीय अस्थमा में सूखी खाँसी होती है छीकें आती हैं। मुख सूखता है। त्वचा में खुस्की हो जाती है, रोगी को अक्सर कब्ज रहती है। यह सुबह-शाम तंग करता है।


पित्तज़ अस्थमा : पित्तज अस्थमा में खाँसी में सॉय-सॉय की आवाज होती है तथा खाँसी के साथ पीला बलगम आता है। बुखार आता है तथा पसीना भी आता है। यह दोपहर अथवा मध्य रात्रि में तंग करता है।


कफज़ अस्थमा : इसमें खाँसी के साथ सफेद बलगम आता है। इसमें मरीज का श्वाँस लेते समय सॉय-सॉय की आवाज आती है। जल्दी-जल्दी श्वास लेता है।


अस्थमा के सामान्य कारण :


1. सदैव कब्ज रहना पेट साफ न होता।


2. रक्त दूषित होने पर,


3. ठंड लग जाना या निमोनियाँ होना


4. प्रदूषित वातावरण में रहना।


5. एलर्जी के कारण जैसे धुंआ, धूल, फूलों की खुशबू, धूप बत्ती, अगरबत्ती की खुशबू, दवाईयों की महक, पौलिश, पेन्ट की खुशबू से भूसे से, पुराने कपड़ों की गन्ध से कुत्ता, बिल्ली, जानवरों के सम्पर्क में आने से फेक्ट्री कारखानों के कैमीकल को गन्ध से आदि बहुत सारे कारणों से भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है।


अस्थमा में प्राकतिक चिकित्सा :


1. दमा में उपवास चिकित्सा अत्यन्त लाभप्रद है। रोज जल नेति करें।


2. नीबू पानी का एनिमा देकर प्रातः पेट साफ करें


3. रोज 10-15 मिनट नंगे बदन सूर्य स्नान करें।


4. गर्म पैर स्नान 10-15 मिनट करें। 10 मिनट गर्म पानी में हाथ डुबोकर रखे।


5. छाती में गर्म गीली चादर लेपट करके शौल लपेट कर बाँध दें ऊपर से कम्बल लपेट दें।


गर्म पानी में नीबू-शहद, मिलाकर पिएँ।


6. रीढ़ में गर्म तेल से सुबह-शाम मालिश करें।


7. ईंट गरम करके कपड़े में लपेटकर छाती में सेंक करें। या बोतल में गर्म पानी भरकर सेंक करें।


8. रोज प्राणायाम में नाड़ी सोधन, मस्त्रिका कपालभाँति करें। अन्त कुर्मक लगाएँ।


9. प्रातः रोज योगासन में सूर्य नमस्कार, शशांका सन, सर्वांगासन सुप्त वज्रासन, उस्ट्रासन, हस्त उत्तानासन, उत्कटासन, द्विकोनासन, मत्सासन, आदि आसन करें।


घरेलू उपचार : अस्थमा में घरेलू उपचार भी अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है।


1. रोज गर्म पानी में लहसुन चूर्ण, सोंठ चूर्ण आधा-आधा चम्मच तथा दो चम्मच शहद मिलाकर पिएँ लाभ होगा


2. हल्दी पिसी पानी में उबालकर छाती में गर्म-गर्म लेप करें, आराम मिलेगा


3. रोज सोंठ, कालीमिर्च, तुलसी पत्ते, बड़ी पीपर लौंग कूटकर 2 चम्मच दवा 3 कप पानी में गुड़ डालकर काढ़ा बनाकर गर्म-गर्म एक दो कप रोज सुबह-शाम पिएँ।


4. सुहागा फूला समभाग मुलैठी चूर्ण मिलकर रख लें। 1-1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन चाटे अस्थमा ठीक हो जाएगा।


5. दुधी को पीसकर 1-1 चम्मच रस गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएँ लाभ होगा या दुधी का दूध आधा चम्मच दूध के साथ लें।


6. काकड़ सिंगी का चूर्ण 6-7 ग्राम गाय के दूध की खीर बनाकर कांसे की थाली में खीर फैलाकर काकडसिंगी का चूर्ण ऊपर से फैलादें तथा पूर्णमासी की रात्रि को चन्द्रमा की रोशनी में रखें। प्रातः खाली पेट वही खीर खालें। यह प्रयोग 12 पूर्ण-मासी करें अस्थमा विदा हो जाऐगा।


7. अडूसा की जड़ का चूर्ण 3-3 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम दो सप्ताह सेवन करें लाभ होगा।


8. छोटी पीपल 16 ग्राम मोर पंख मस्म 4 ग्राम मिलाकर 16 खुराके बना लें रोज एक खुराक शहद के साथ प्रातः I: खाली पेट चाटें आधा घन्टा कुछ अन्य न खाएँ दमा में लाभ मिलेगा।


9. वेलपत्र तथा बाँस के पत्तों का रस 6 6 ग्राम तथा सरसों का तेल 6 ग्राम तीनों को मिलाकर सुबह पिलाएँ। एक सप्ताह प्रयोग करें अस्थमा ठीक हो जाएगा।


10. आँक (मदार, अकौड़ा) का एक बड़ा पत्ता तथा 25 काली मिर्च पीसकर उड़द के दाने के बराबर गोली बना लें। 3-6 गोली गुनगुने पानी से प्रातः खाली पेट कुछ दिन खिलाएँ दमा ठीक हो जाता है।


11. शुद्ध लोबान 10 ग्राम 10 ग्राम बारीक पीसकर काँच की शीशी में रख ले। रोज एक ग्राम दवा गर्म पानी से प्रातः खिलाएँ। 10 दिन में अस्थमा में बहुत लाभ होगा।


12. सफेद फिटकरी (फूली हुई) तथा पिसी मिश्री 20-20 ग्राम पीसकर मिलाकर रोज लें 1-2 ग्राम दवा गर्म पानी से प्रातः एक सप्ताह सेवन करें अस्थमा में बहुत लाभ मिलेगा।


अस्थमा में आयुर्वेदिक उपचार : 


1. श्वांसहर चूर्ण 1-1 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम लें। 45 दिन ले


2. लक्ष्मी विलास रस तथा श्वांसकुठार रस की 2-2 गोली एक घण्टे के अन्तराल में सबुह-शाम गर्म पानी से लें। 45 दिन करें


3. अम्रक कल्प की एक गोली गर्म पानी से प्रातः कुछ दिन लें।


4. कनकवासा 2-2 चम्मच दवा सुबहशाम कुछ दिन लें।


शाम कुछ दिन लें सितोपलादि चूर्ण 1-1 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम दो सप्ताह लें।


5. च्यवनप्राश एक-एक चम्मच दिन में 2-3 बार सेवन करें।


नोट : सभी उपचार, किसी चिकित्सक की देख रेख में करें। दवा की मात्रा समय आवश्यकतानुसार कम ज्यादा कर सकते हैं।