प्याज का ताज (हास्य व्यंग्य)...

'शीतल अंगारा' जी को पाँच छः लोग घर पर लेकर आए। वे बदहवास लग रहे थे। उनकी पत्नी 'मायाजी' कुछ समझ पातीं इससे पहले ही उनमें से एक बोला...'साहब सब्जी मंडी में प्याज की दूकान के सामने गश खाकर गिर पड़े। हमने पानी के छींटे मारे, प्याज सुंघाया तब जाकर होश में आए।'



मायाजी को समझने में देर न लगी कि माजरा क्या है। सारा प्याजबाबा का किया धरा है। न वे 'अक्षयकुमार' ने ट्विंकल खन्ना' को दिये वैसे 'प्याजीले कुंडल कर्णफूल' मांगतीं और न कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में करीना को प्याजमणि कर्णावतंस दिये जाने का हवाला देती, न शीतलजी सब्जीमंडी का रुख करते।


वे बड़े प्यार से बोली.. 'अपनी जान पर खेलकर आपने प्याज लाने की सोची भी कैसे। कहीं कुछ हो जाता तो। कवि हो..मुझे कुंडल न सही 'प्याजीली कुंडलियां'.. ही सुना देते। उन्हीं दिलकश ध्वनियों के सहारे सब्जी छौंक देती। पकौड़े तल लेती।


मैं तो भोले भंडारी सी आशुतोषी हूं। फेसबुक पर प्याजीले इमोजी ही दिखा देते. मैं किचन में किच किच क्यों करती। पुराने जमाने की माएं परात के पानी में चंदा दिखलाती थीं कि नहीं। इमोजी तो बंधुआ मजदूर हैं। कभी रूदाली एक भी स्टैंड अप कॉमेडियन, आजाद तो कभी दुवार्सा बन जाते हैं। उनसे किसी भी तरह का काम लिया जा सकता है।


सच कहूं अभी-अभी मेरी सहेली ने 'कैटरीना कैफ' की एक फोटो भेजी है। जिसमें उसने गुलाबी रंग के प्याजरत्न जड़े इअररिंग्ज और माला पहनी है। यहां तक कि प्याजाकृति बिन्दी भी लगाई है। किस्मत हो तो कैटरीना जैसी नहीं तो ना हो।


अब ध्यान रखिएगा- 'प्याज एक दिन का खलीफा नहीं रहा। पता नहीं उसकी बादशाहत कितने दिन चले। और वो छाती पर मूंग दले। वैसे मैंने मराठी मुहावरे की तरह आपके कानों में प्याज नहीं बाँधे। अब तो सवाल ही नहीं उठता।